लेखक: अनुराग बरुआ
अगस्त 6 2024
लॉजिकली फ़ैक्ट्स की जांच में सामने आया कि वायरल वीडियो 2021 में बेंगलुरु की एक घटना का है और इसका बांग्लादेश में मौजूदा अशांति से कोई संबंध नहीं है.
(ट्रिगर वार्निंग: इस रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न का ज़िक्र है. पाठक विवेक से काम लें.)
दावा क्या है?
एक लड़की को जबरन बिस्तर पर पकड़े जाने का आंशिक रूप से धुंधला स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा है कि ढाका यूनिवर्सिटी की एक हिंदू महिला का कई पुरुषों द्वारा यौन उत्पीड़न किया जा रहा है. आगे दावा किया गया है कि घटना का पूरा वीडियो मौजूद है और बांग्लादेश में नई (अंतरिम) सरकार इस तरह के हमलों को और बढ़ावा देगी.
कुछ यूज़र्स ने वायरल स्क्रीनशॉट के साथ एक छह सेकंड का ग्राफ़िक वीडियो भी शेयर किया है जिसमें कई लोग एक महिला के कपड़े उतारते और उस पर हमला करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वायरल तस्वीर इस वीडियो का एक फ़्रेम है. लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने वीडियो की हिंसक प्रकृति के चलते इसके लाइव लिंक या आर्काइव लिंक शामिल नहीं किये हैं.
कई एक्स (पूर्व में ट्विटर) यूज़र्स ने इस स्क्रीनशॉट को इस कैप्शन के साथ शेयर किया है: “प्रिय सेक्युलर/वामपंथी हिंदू आपकी बेटियाँ/बहनें भी उनके लिए "हिंदू सामान" हैं. बांग्लादेश में हिंदू बहनें इसी स्थिति का सामना कर रही हैं और हम उन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकते. हिंदुओं को रोना बंद कर देना चाहिए और जवाबी कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए. जागो @narendramodi जी और कुछ करो."
इस वीडियो को सबसे पहले ‘इस्लामिक आर्मी - लेटेस्ट वर्जन’ नाम के टेलीग्राम चैनल पर शेयर किया गया था, जिसने बांग्लादेश से कई तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए थे.
सच्चाई क्या है?
हमने रिवर्स इमेज सर्च के जरिए वीडियो के की-फ्रेम्स को सर्च किया तो हमें न्यूज बांग्ला 24 की एक रिपोर्ट मिली. जून 8, 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट में वीडियो का स्क्रीनशॉट दिखाया गया था और भारत के बेंगलुरु में बांग्लादेशी नागरिकों से जुड़े बलात्कार के मामले पर चर्चा की गई थी. "भारत में युवतियों का शोषण: तस्करी के सरगनाओं ने कबूल किया (बांग्ला से अनुवादित)" शीर्षक वाली रिपोर्ट में बांग्लादेश और भारत के बीच संचालित तस्करी गिरोह के सरगना अशरफुल मंडल, जिन्हें बॉस रफ़ी के नाम से भी जाना जाता है, और अब्दुर रहमान के कबूलनामे का विस्तृत विवरण दिया गया है. रिपोर्ट में वीडियो का ज़िक्र करते हुए बताया गया है कि इसमें पाँच लोग एक महिला पर हमला करते हुए दिखाई दे रहे हैं और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
यह वीडियो सबसे पहले 2021 में वायरल हुआ था, उस साल मई में कर्नाटक के बेंगलुरु में एक बांग्लादेशी महिला के साथ यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट सामने आने के बाद. कई न्यूज़ आउटलेट्स ने इस घटना पर ख़बरें प्रकाशित की थीं. जुलाई 8, 2021 को प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, मई की शुरुआत में पूर्वी बेंगलुरु के राममूर्तिनगर में एक बांग्लादेशी महिला पर कथित रूप से हमला करने और उसके साथ बलात्कार करने के आरोप में तीन महिलाओं सहित 12 बांग्लादेशी नागरिकों पर आरोप लगाए गए थे.
पत्रकार अरुण देव द्वारा हिंदुस्तान टाइम्स की मई 29, 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि चार अवैध बांग्लादेशी पुरुषों को एक वायरल वीडियो के बाद गिरफ़्तार किया गया था, जिसमें उन्हें 20 साल की उम्र की एक महिला पर कथित रूप से अत्याचार करते और उसके साथ मारपीट करते दिखाया गया था. देव ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स से पुष्टि की कि मौजूदा समय में वायरल हो रहा वीडियो उसी 2021 की घटना का है.
उस समय यह वीडियो असम में भी वायरल हुआ था. जुलाई 8, 2021 की स्क्रॉल.इन की रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि कैसे अपराधियों ने क्लिप को रिकॉर्ड किया और असम में दोस्तों के साथ शेयर किया, जिससे यह वायरल हो गया और बाद में पुलिस ने इसकी जांच की. स्क्रॉल के पत्रकार रोकीबुज ज़मान ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स से पुष्टि की कि वायरल स्क्रीनशॉट और वीडियो एक ही घटना के हैं.
स्क्रॉल.इन की रिपोर्ट में बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त का एक एक्स-पोस्ट (आर्काइव यहां) भी शामिल था, जिसमें कहा गया था: "वीडियो का कंटेंट और शुरुआती जांच के आधार पर, दो महिलाओं सहित छह लोगों के ख़िलाफ़ बलात्कार और हमले का मामला @ramamurthyngrps पर दर्ज किया गया है." हमने आगे की पुष्टि के लिए राममूर्ति पुलिस से संपर्क किया है और जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे.
बांग्लादेश में मौजूदा अशांति
जून के आखिर में शेख़ हसीना की अगुआई वाली सरकार के ख़िलाफ़ विवादास्पद सार्वजनिक सेवा में कोटा नीति को लेकर छात्रों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश में कई हफ़्तों से उथल-पुथल चल रही है. इस नीति के तहत पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लोगों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी पद आरक्षित किए गए थे. इस नीति को 2018 में रद्द कर दिया गया था, लेकिन जून 2024 में निचली अदालत ने इसे फिर से लागू कर दिया.
विरोध प्रदर्शनों के जवाब में, इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और कर्फ्यू लगा दिया गया. हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की, जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और गोलियाँ चलानी पड़ीं. पुलिस के साथ झड़प में कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई.
व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद, जुलाई 21 को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने नीति को आंशिक रूप से रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि सरकार में 93% नौकरियां योग्यता के आधार पर होनी चाहिए. हालांकि, विरोध प्रदर्शन जारी रहा और सत्तारूढ़ आवामी लीग और शेख हसीना के खिलाफ़ आंदोलन में बदल गया.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अगस्त 5, 2024 तक पुलिस गोलीबारी, भीड़ की पिटाई और आगजनी से मरने वालों की संख्या 280 है.
अगस्त 5 को शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं. उनके जाने का जश्न मनाने के लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके आवास पर धावा बोलने, उनके पिता और बांग्लादेश की स्वतंत्रता के नायक शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियों को ध्वस्त करने और सड़कों पर आगजनी करने के दृश्य सामने आए हैं. शेख़ हसीना फिलहाल भारत में हैं और उम्मीद है कि वे कहीं और शरण मांगते तक वहीं रहेंगी, ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि वे यूनाइटेड किंगडम जा सकती हैं.
इस बीच, बांग्लादेश की सेना ने अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की है, जिसके मुख्य सलाहकार नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस होंगे. राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने राजनीतिक दलों से बढ़ते तनाव के एक दिन बाद व्यवस्था बहाल करने का आह्वान किया है. अगस्त 6 को सुबह 6 बजे कर्फ्यू खत्म हो गया, जिससे सरकारी कार्यालय और शैक्षणिक संस्थान फिर से खुल गए हैं.
निर्णय
बेंगलुरु में 2021 में हुए यौन उत्पीड़न मामले से जुड़े वायरल वीडियो को बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति से ग़लत तरीके से जोड़ा जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि यह वहां “हिंदू महिलाओं की दुर्दशा” को दिखाता है. कई न्यूज़ रिपोर्ट्स और पत्रकारों ने पुष्टि की है कि वीडियो पुराना है और बांग्लादेश में मौजूदा अशांति से इसका कोई संबंध नहीं है.