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गोरखपुर में सीएए विरोधी प्रदर्शन का पुराना वीडियो संभल हिंसा से जोड़कर वायरल

लेखक: ताहिल अली

नवम्बर 26 2024

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वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट में लोगों पर पुलिस लाठीचार्ज करते दिख रही है.  साथ ही, इसपर असत्य का स्टाम्प लगा है. दावा है कि यह वीडियो उत्तर प्रदेश के संभल में पुलिस की बर्बरता को दिखाता है. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

यह वीडियो 2019 में गोरखपुर में हुए सीएए विरोध प्रदर्शन का है, जिसमें पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी भीड़ पर लाठीचार्ज दिखाया गया है.

दावा क्या है?

सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिस द्वारा एक भीड़ का पीछा करके उन्हें पीटा जा रहा है. इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के संभल में हालिया हिंसा का है.

एक एक्स यूज़र ने वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया: “संभल में दंगाइयों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करती यूपी पुलिस. अगर आप कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंगाइयों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई का समर्थन करते हैं तो इसे फिर से पोस्ट करें.” पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. इसी तरह की पोस्ट के आर्काइव वर्जन यहां, यहां, यहां, और यहां देखे जा सकते हैं.

वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

नवंबर 24, 2024 को संभल में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के बाद वायरल वीडियो प्रसारित होना शुरू हुआ, जिसकी शुरुआत ऐतिहासिक मुग़लकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वे के लिए अदालत के आदेश से हुई थी. इस हिंसा में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और करीब 20 पुलिस अधिकारी घायल हो गए.

हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि वायरल हो रहा वीडियो असल में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का है और इसे 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान रिकॉर्ड किया गया था.

सच्चाई कैसे पता चली? 

वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर, यह कई सोशल मीडिया पोस्ट्स में मिला, जहां बताया गया था कि यह वीडियो दिसंबर 2019 में गोरखपुर में हुए सीएए विरोध प्रदर्शन का है. 

ऐसा ही एक वीडियो (आर्काइव यहां) दिसंबर 31, 2019 को एक्स यूजर '@imMAK02' द्वारा पोस्ट किया गया था, जिसके कैप्शन में लिखा था, "यह वीडियो गोरखपुर, उत्तर प्रदेश का है. यूपी पुलिस निहत्थे सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर क्रूर बल का प्रयोग कर रही है." वीडियो में पुलिस लोगों की पिटाई करती दिख रही है. वायरल वीडियो में भी वही सड़क और दुकानें दिखाई दे रही हैं, जिससे यह पुष्टि होती है कि यह संभल में हुई हालिया घटनाओं से संबंधित नहीं है.

दिसंबर 2019 के एक्स-पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

जनवरी 25, 2020 को फ़ेसबुक पर "जज एडवोकेट्स पीड़ित ऑर्गनाइजेशन - JAPO" द्वारा शेयर किए गए एक अन्य वीडियो (आर्काइव यहां) ने भी फुटेज को उत्तर प्रदेश में सीएए विरोधी प्रदर्शनों का हिस्सा बताया.

इसकी पुष्टि ईटीवी भारत और यूपी तक (आर्काइव यहां) सहित कई मीडिया आउटलेट्स के वीडियो से भी होती है, जिसमें अलग-अलग एंगल से समान दृश्य कैप्चर किए गए थे. दिसंबर 20, 2019 को लाइव हिंदुस्तान द्वारा पोस्ट किया गया एक वीडियो (आर्काइव यहां), जिसका शीर्षक है "गोरखपुर : सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान पथराव में दो घायल,लाठीचार्ज," और वायरल वीडियो के बीच काफी समानताएं हैं. इनमें एक सफ़ेद इमारत शामिल है, जिस पर नीला शटर और लाल बैनर है, साथ ही वीडियो को एक सड़क से शूट किया गया है, जहां क्रॉसिंग पर वही इमारत दिखाई दे रही है.

वायरल वीडियो और 2019 की न्यूज़ आउटलेट के दृश्यों के बीच तुलना. (सोर्स: एक्स/लाइव हिंदुस्तान/स्क्रीनशॉट)

इसके अलावा, जियोलोकेशन से पुष्टि होती है कि यह जगह नखास रोड, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश है.

वीडियो में कुछ ख़ास चीजें जैसे 'माँ वैष्णो स्टेशनर्स' नाम की दुकान, पास की इमारतें, एक बिजली का खंभा और एक घुमावदार सड़क के साथ नीले रंग की शटर वाली दुकान, जिस पर 'मंगला वेडिंग कलेक्शन' का बैनर लगा है, गूगल स्ट्रीट व्यू की तस्वीरों से मेल खाती हैं.

निर्णय 

हमारी अब तक की जांच से साफ़ हो जाता है कि वायरल वीडियो दिसंबर 2019 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन का है. इसका संभल में हुई हालिया हिंसा से कोई संबंध नहीं है.

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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