लेखक: अनुराग बरुआ
नवम्बर 20 2024
वायरल दावा ग़लत है, और वायरल सकाल ग्राफिक फ़ेक है, जिसकी पुष्टि सकाल मीडिया और संबंधित अधिकारियों ने की है.
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर दो तस्वीरों का एक कोलाज वायरल हो रहा है: एक में मुंबई में श्री सिद्धिविनायक मंदिर दिखाया गया है और दूसरे में मंदिर के भीतर स्थित हिंदू भगवान गणेश की मूर्ति है. पोस्ट में दावा किया गया है कि वक़्फ़ बोर्ड ने मंदिर पर दावा किया है.
वायरल कोलाज में ऊपर दाएं कोने में मराठी भाषा के दैनिक समाचार पत्र सकाल का लोगो भी दिखाया गया है, जिससे यह पता चले कि पोस्ट अख़बार का है.
एक यूज़र ने एक्स पर मराठी में एक पोस्ट लिखी, जिसका मोटे तौर पर अनुवाद है: "बहुत क्रोधित करने वाला! वक़्फ़ बोर्ड सिद्धिविनायक मंदिर पर दावा करता है, जो हिंदुओं की मूर्ति और मुंबई की पहचान है! महाविकास अघाड़ी ने वक़्फ़ की मांग सहित उलेमा की मांगों पर लिखित सहमति दी है. यदि आप मंदिरों और किलों को बचाना चाहते हैं, तो महायुति को वोट दें!"
महायुति महाराष्ट्र में एक राजनीतिक गठबंधन है, जिसमें वर्तमान में तीन प्रमुख दल शामिल हैं: बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-अजित पवार गुट).
नवंबर 18, 2024 की इस पोस्ट को अब तक 40,000 से अधिक बार देखा जा चुका है. कथित सकाल न्यूज़ ग्राफ़िक वाले इस पोस्ट और इसी तरह के अन्य पोस्ट, जिनमें बीजेपी विधायक नितेश राणे का पोस्ट भी शामिल है, के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
वक़्फ़ बोर्ड भारत में एक वैधानिक निकाय है जो वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन करता है, जो मुसलमानों द्वारा धार्मिक, शैक्षिक या सामुदायिक उद्देश्यों के लिए किया गया दान है.
सोशल मीडिया पोस्ट के स्क्रीनशॉट जिसमें ग़लत दावा किया गया है कि वक़्फ़ बोर्ड ने श्री सिद्धिविनायक मंदिर पर दावा किया है. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने वायरल ग्राफ़िक के बिना ही दावे को आगे बढ़ाया है, और यही आरोप लगाया है. ऐसे पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि वायरल दावा ग़लत है और सकाल का ग्राफ़िक फ़ेक है.
हमें सच्चाई कैसे पता चली?
हमने सकाल लोगो वाले वायरल कोलाज को रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजा, लेकिन हमें कोई विश्वसनीय परिणाम नहीं मिले. सकाल मीडिया के सोशल मीडिया अकाउंट पर ऐसा कोई ग्राफ़िक नहीं मिला और न ही अख़बार ने कोई रिपोर्ट प्रकाशित की है.
वायरल ग्राफ़िक और सकाल के सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए आधिकारिक क्रिएटिव के बीच तुलना से कई विसंगतियां सामने आईं. वायरल ग्राफ़िक के उलट, सकाल के पोस्ट में बॉर्डर नहीं हैं और सकाल क्रिएटिव में टेक्स्ट हमेशा बाईं ओर संरेखित होता है, जबकि वायरल ग्राफ़िक के अंदर टेक्स्ट बीच में है.
इसके अलावा, सकाल ने अपने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि यह तस्वीर फ़ेक है. सकाल द्वारा एक्स पर पोस्ट किया गया एक बयान (आर्काइव यहां), मराठी भाषा में मोटे तौर पर इस तरह है: "वर्तमान में, 'सकाल' के नाम से एक भ्रामक क्रिएटिव सोशल मीडिया पर 'मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर पर वक़्फ़ बोर्ड का दावा' शीर्षक के साथ वायरल हो रहा है. हालांकि, 'सकाल' द्वारा ऐसा कोई क्रिएटिव नहीं बनाया गया है, और यह शरारत 'सकाल' के नाम और लोगो का उपयोग करके की गई है."
सकाल मीडिया की एग्जीक्यूटिव एडिटर शीतल पवार ने भी एक्स पर पोस्ट किया (आर्काइव यहां), जिसमें स्पष्ट किया गया कि वायरल तस्वीर फ़ेक है.
सकाल मीडिया के एक्स पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने इस दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक्स पर लिखा (आर्काइव यहां): "भाजपा के इकोसिस्टम की बिल्कुल घृणित मानसिकता. फूट डालो और राज करो. झूठ बोलो और जीतने की कोशिश करो. क्या @ECISVEEP और @MumbaiPolice कभी कार्रवाई करेगी और ऐसे घृणित नफ़रत फैलाने वालों और महाराष्ट्र से नफ़रत करने वालों को गिरफ्तार करेगी? अपने वोटों के लिए महाराष्ट्र में हमारी भावनाओं और भावनाओं के साथ मत खेलो."
आदित्य ठाकरे के एक्स पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
वक़्फ़ बोर्ड और सिद्धिविनायक मंदिर ने क्या कहा?
लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने स्पष्टीकरण के लिए महाराष्ट्र वक़्फ़ बोर्ड से संपर्क किया. महाराष्ट्र वक़्फ़ बोर्ड के सीईओ जुनैद सैयद ने हमें बताया: "यह फ़ेक न्यूज़ है. ऐसा कोई संदेश नहीं है, न ही बोर्ड ने ऐसा कोई दावा किया है."
श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष पवन कुमार त्रिपाठी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मंदिर मुंबई के गौरव का प्रतीक है और कोई भी बोर्ड इस पर दावा नहीं कर सकता. उन्होंने आगे कहा कि मंदिर हमेशा से भगवान गणेश के भक्तों का रहा है और आगे भी रहेगा.
लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने त्रिपाठी से आगे की टिप्पणी के लिए संपर्क किया. उन्होंने पुष्टि की कि वीडियो असली था और कहा कि मंदिर को वक़्फ़ बोर्ड से कोई संदेश नहीं मिला है और उन्होंने ऐसा कोई दावा नहीं देखा है.
निर्णय
मंदिर अधिकारियों और महाराष्ट्र वक़्फ़ बोर्ड दोनों ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स से पुष्टि की है कि श्री सिद्धिविनायक मंदिर पर ऐसा कोई दावा नहीं किया गया है. सकाल मीडिया ने सार्वजनिक बयानों में यह भी स्पष्ट किया कि न्यूज़ आउटलेट के लोगो वाला वायरल सोशल मीडिया ग्राफ़िक फ़ेक है.