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पश्चिम बंगाल का पुराना वीडियो असम सीमा पर बांग्लादेशी हिंदुओं के एकत्र होने के दावे से वायरल

लेखक: राहुल अधिकारी

अगस्त 8 2024

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पश्चिम बंगाल का पुराना वीडियो असम सीमा पर बांग्लादेशी हिंदुओं के एकत्र होने के दावे से वायरल सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेशी हिंदू असम में भारतीय सीमा के आसपास इकठ्ठा हो रहे हैं. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

वीडियो 2018 में पश्चिम बंगाल में एक वार्षिक कार्यक्रम के दौरान रिकॉर्ड किया गया था. इसका बांग्लादेश में राजनीतिक संकट और अशांति से कोई संबंध नहीं है.

दावा क्या है?

सोशल मीडिया पर एक वीडियो ख़ूब वायरल हो रहा है, जिसमें लोग सीमा पर कंटीली तारों के पीछे खड़े दिख रहे हैं. इस वीडियो के ज़रिये दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश में राजनीतिक संकट और अशांति के बीच भारत में शरण लेने के लिए बांग्लादेशी हिंदू असम में भारतीय सीमा के पास इकट्ठा हो रहे हैं. 

कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस वीडियो को एक्स (पूर्व में ट्विटर) और यूट्यूब पर शेयर किया है. एक्स पर एक यूज़र ने कैप्शन दिया, "सोशल मीडिया पर यह वीडियो आया है और बताया जा रहा है कि बांग्लादेश की जो सीमा असम से लगी हुई है वहां पर बांग्लादेश की ओर से कई हिन्दू परिवार भारत में शरण लेने के लिए भारत बांग्लादेश बॉर्डर पर खड़े हैं..." इस पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों वाले अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, वायरल दावा ग़लत है. यह वीडियो जून 2018 का है और इसे पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर मिलन मेला नाम के एक वार्षिक कार्यक्रम के दौरान रिकॉर्ड किया गया था.

हमने सच का पता कैसे लगाया?

हमने वायरल वीडियो के कई कीफ़्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च किया, तो, हमें 'योर फ्रेंड्स' नाम के एक यूट्यूब चैनल पर जून 5, 2018 को अपलोड हुआ एक 30 सेकंड का वीडियो (आर्काइव यहां) मिला. वीडियो के शीर्षक से पता चलता है कि यह भारत-बांग्लादेश सीमा से है, जिसे अप्रैल 15, 2018 को मिलन मेले के दौरान फ़िल्माया गया था.

हर साल, बंगाली महीने बोइशाख (वैशाख) के पहले दिन, जो 14 अप्रैल या 15 अप्रैल को पड़ता है. इस दौरान भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के लोग मिलने और जश्न मनाने के लिए सीमा पर इकठ्ठा होते हैं. मिलन मेला के नाम से जाना जाने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है.

वीडियो की तारीख से स्पष्ट होता है कि इसका बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक संकट से कोई लेना-देना नहीं है.

2018 में शेयर किये गए मूल वीडियो का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: यूट्यूब/स्क्रीनशॉट)

हमें पिछले सालों के मिलन मेलों की कई तस्वीरें भी मिलीं, जहां लोगों को सीमा के दोनों ओर कंटीले बाड़ के सामने खड़े देखा जा सकता है, जो वायरल वीडियो के दृश्य के समान है.

वायरल वीडियो और मिलन मेले की तस्वीर के बीच तुलना. (सोर्स: ईटीवी भारत/एक्स/स्क्रीनशॉट)

योर फ्रेंड्स के यूट्यूब चैनल को खंगालने पर हमें पता चला कि इसे गौतम बिस्वास चलाते हैं.

लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने बिस्वास से संपर्क किया, जिन्होंने कहा, "मैंने 2018 में यह वीडियो बनाया था और वीडियो से जुड़ा दावा ग़लत है. यह हमारे इलाके में 2018 में हुए आखिरी मिलन मेले के दौरान लिया गया था. तब से छह साल हो गए हैं और मिलन मेला बंद कर दिया गया है. वीडियो उत्तर दिनाजपुर के सिरीपुर गांव के पास बनाया गया था."

न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक़, कानून और व्यवस्था तथा राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण लगातार चौथे साल 2023 में वार्षिक मिलन मेला रद्द कर दिया गया. पिछले सालों में, कथित तौर पर राज्य में विधानसभा चुनावों के साथ-साथ कोविड-19 महामारी के दौरान इसे रद्द कर दिया गया था.

चैनल पर अन्य वीडियो में क्या है?

हमने चैनल पर मौजूद कई दूसरे वीडियो देखे. इस बीच हमें अप्रैल 16, 2018 को शेयर किया गया एक वीडियो (आर्काइव यहां) मिला. इसमें 1:17 की समयावधि पर एक सरकारी वाहन दिखाई देता है, जिसकी नंबर प्लेट से पता चला कि यह पश्चिम बंगाल सरकार, उत्तर दिनाजपुर ज़िले के ग्वालपोखर 1 ब्लॉक का ब्लॉक विकास कार्यालय (बीडीओ) का था. हमने देखा कि कार का नंबर WB59B 0240 है, जो दर्शाता है कि कार पश्चिम बंगाल में पंजीकृत है.

उत्तर दिनाजपुर का क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) वाहन नंबर प्लेट के लिए आरटीओ कोड WB59 का उपयोग करता है.

2018 में कैप्चर किए गए यूट्यूब वीडियो में से एक का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: यूट्यूब/स्क्रीनशॉट)

हालांकि यह वीडियो हूबहू नहीं है, लेकिन यह ठीक वैसा ही प्रतीत होता है और कैप्शन के अनुसार इसे मिलन मेले के दौरान शूट किया गया था.

बांग्लादेश में मौजूदा अशांति

बांग्लादेश में जून 2024 में सरकार की नौकरी कोटा नीति के ख़िलाफ़ व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, जिसके तहत 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के वेटेरन के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत पद आरक्षित थे.

व्यापक विरोध के बाद, जुलाई  21 को सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी कोटा नीति को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया, जिसमें कहा गया कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर होंगी. हालांकि, अवामी लीग और तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन जारी रहा.

अगस्त 6 तक, रिपोर्ट्स बताती हैं कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 440 हो गई है, जिसमें हसीना के देश छोड़कर भाग जाने के बाद 100 अतिरिक्त मौतें हुई हैं.

अगस्त 5 को शेख़ हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं. वह फिलहाल भारत में हैं और वह कहीं और शरण मांगते तक वहीं रहेंगी, ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि वे यूनाइटेड किंगडम जा सकती हैं.

इस बीच, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया है, यह निर्णय राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया. 

लॉजिकली फ़ैक्ट्स बांग्लादेश हिंसा के बारे में ग़लत सूचनाओं का सक्रिय रूप से खंडन कर रहा है. आप हमारे फ़ैक्ट-चेक यहां पढ़ सकते हैं. 

निर्णय

हमारी अब तक की जांच से साफ़ हो गया कि पश्चिम बंगाल के एक पुराने वीडियो को इस ग़लत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि राजनीतिक अस्थिरता के बीच बांग्लादेशी हिंदू असम में भारतीय सीमा के आसपास शरण लेने के लिए एकत्रित हो रहे हैं. यह वीडियो जून 2018 से मौजूद है और वीडियोग्राफ़र के अनुसार इसे मिलन मेले के दौरान रिकॉर्ड किया गया था. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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