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सार्वजनिक हित से जुड़े सामयिक और मूल तथ्यों की जांच करने के बाद हम प्रकाशित करते हैं और ट्रेंड करते दुष्प्रचार पर नजर रखते हुए उसे पकड़ते हैं.

हमारे फैक्ट चेकर आंकड़े, विश्लेषण और संपादकीय निर्णय के आधार पर तय करते हैं कि किस दावे से बड़ा नुकसान हो सकता है, जिसे प्राथमिकता देनी चाहिए. हमारी अनुभवी संपादकीय टीम और विशेषज्ञ फैक्ट चेकर व्यक्तिगत रूप से दावों को परखते हैं और मूल्यांकन करते हैं कि उनका प्रसार कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है.  

लॉजिकली फैक्ट्स में निम्न मानकों पर खरा उतरने वाले दावों की जांच की जाती है : 

  • सार्वजनिक रूप से दिया गया बयान या ऑनलाइन फोरम पर सबके लिए उपलब्ध.
  • तर्कसंगत नजरिए से सामान्य मानदंड के आधार पर सार्वजनिक रूप से सबके लिए उपलब्ध.
  • लॉजिकली फैक्ट्स केवल उन आरोपों या वाक्यों का फैक्ट चेक कर सकती है जिन्हें आरोप माना जा सके. या फिर उसका मकसद किसी को किसी बात का विश्वास दिलाना हो. 

टीम कठोर मानकों का उपयोग करके सभी संभावित सबूतों का मूल्यांकन करने के लिए प्रतिबद्ध है, भले ही मूल दावा किसने किया हो या राजनीतिक स्पेक्ट्रम के किस पक्ष पर हो. टीम राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी दावों का फ़ैक्ट चेक करती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि प्रत्येक पार्टी के बारे में समान संख्या में दावों का फ़ैक्ट चेक किया जाए.

कई बार दावे को हम उन सबूतों से तय नहीं कर पाते जिन तक हमारी पहुंच होती है या भविष्य में हो सकती है. आमतौर पर ये दावे इतिहास से जुड़े हो सकते हैं जिनके सबूत सीमित होते हैं. या फिर ये दावे बुनियादी रूप से नैतिक या धार्मिक प्रकृति के होते हैं.

हम ऐसे दावों में नहीं उलझेंगे जहां हमें लगता है कि ऐसा करना गैर-जिम्मेदाराना हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उस खास विषय में हमारी विशेषज्ञता नहीं होती. ऐसा भी हो सकता है कि दावे को सही संदर्भ में देखने की इतनी क्षमता नहीं होती जिससे कोई निष्कर्ष निकाला जाए और अंतत: जिस दावे की पड़ताल से कोई मदद ही ना मिले. हम ट्रोलिंग में भी नहीं शामिल होंगे और न ही नुकसान पहुंचाने वाले षडयंत्रों में, जब तक कि स्पष्ट रूप से वह खंडन प्रकाशित किया जा सकने वाला पत्रकारिता से जुड़ा मामला ना हो.

हम यूज़र्स को अपने दावों को हमारी टीम के साथ शेयर करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं ताकि उनका फ़ैक्ट चेक किया जा सके. आप इस फ़ॉर्म का उपयोग करके अपना अनुरोध भेज सकते हैं, और टीम जांच करेगी कि क्या यह फ़ैक्ट चेक के लिए ऊपर बताए गए मानदंडों को पूरा करता है. इसके अलावा, हमें कभी-कभी हमारे सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से टिप-ऑफ़ और फ़ैक्ट चेक के अनुरोध प्राप्त होते हैं.

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सबसे पहले, हम किसी दावे की उत्पत्ति का पता लगाते हैं और उसके पूरे संदर्भ का विश्लेषण करते हैं. फिर, हम सच का पता लगाने के लिए सूचना के सबसे प्रमुख सोर्स (फर्स्ट हैण्ड इन्फॉर्मेशन) को खोजने और कोट करने की कोशिश करते हैं.

एक बार जब हमारे पास पर्याप्त प्रमाण इकट्ठा हो जाते हैं, तो हम आकलन करते हैं कि दावा कितना भरोसेमंद है, तो फिर अपने निष्कर्षों के बारे में हम एक रिपोर्ट तैयार करते हैं. साक्ष्य पाने के लिए जिन रास्तों को हमने अपनाया होता है उनका विवरण भी हम देते हैं. यही रिपोर्ट फैक्ट चेक होती है. समीक्षा के अलग-अलग स्तरों से जब यह गुजर जाता है तो हम अपने निष्कर्ष को प्रकाशित करते हैं.

लॉजिकली फैक्ट्स के फैक्ट चेकर के लिए फैक्ट चेक में  कम से कम दो स्रोत सामने रखना जरूरी है. पर बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती : 

  • प्रथम दृष्टया विशेषज्ञ, प्रत्यक्षदर्शी, हितधारक या संबंधित अधिकारियों के बयान
  • अकादमिक पत्रिकाएं और अनुसंधान
  • प्रतिष्ठित और स्थापित समाचार स्रोतों से रिपोर्ट
  • ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) से प्राप्त विश्लेषण जिसमें शामिल होते हैं की-फ्रेम एनालिसिस, रिवर्स इमेज सर्च और जियो लोकेशन.
  • जहां भी उचित और संभव हो, हम उस व्यक्ति या संगठन से संपर्क करते हैं जो ग़लत दावे का स्रोत है और/या आरोपों का विषय है ताकि उन्हें प्रकाशन से पहले जवाब देने का अधिकार दिया जा सके.

एक बार जब फ़ैक्ट-चेकर ने किसी दावे की पहचान कर ली है, तो इसे डिप्टी एडिटर, असिस्टेंट एडिटर या रीज़नल एडिटर लीड द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए. फ़ैक्ट-चेक का मसौदा पूरा होने के बाद, हमारा एक डिप्टी एडिटर एडिटोरियल पैमाने (साक्ष्य, संरचना, तर्क, विशेषज्ञों, प्रत्यक्षदर्शियों, हितधारकों या अधिकारियों के उद्धरण) के लिए रिपोर्ट की समीक्षा करता है. पहली समीक्षा हो जाने के बाद, लॉजिकली फैक्ट्स के असिस्टेंट एडिटर यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं कि रिपोर्ट और सोर्स, सटीक और व्याकरण संबंधी ग़लतियां न हों. असिस्टेंट एडिटर  फ़ैक्ट-चेक प्रकाशित होने से पहले फ़ैक्ट-चेकर और एडिटोरियल टीम के वरिष्ठ सदस्यों को मूल्यांकन, स्रोत, या अन्य एडिटोरियल निर्णयों पर किसी भी सवालों को चिह्नित करते हैं.

 
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अलग तरह के दावों के लिए अलग तरह के स्रोत की जरूरत होती है; अनुभव आधारित दावों को वैज्ञानिक अनुसंधान से सही ठहराया जा सकता है, आर्थिक अनुमानों को विशेषज्ञों की मदद से सही ठहराया जा सकता है, राजनीतिक दावों को मतदान के आंकड़ों से या फिर आमतौर पर सहमत राजनीतिक सिद्धांतों के जरिए उचित ठहराया जा सकता है. इसके अलावा ऐसे कई मानक हैं, जिन पर कई प्रकार के साक्ष्यों को आंका जा सकता है जहां गुणवत्ता की तुलना हो सकती है.

तुलनात्मक रूप से हम ज्यादा विश्वसनीय स्रोतों को प्राथमिकता देते हैं. जहां जरूरी हो हम प्राथमिक स्रोत (प्रथम दृष्टया जानकारी) को दूसरे स्रोत (प्राथमिक स्रोत के बारे में जानकारी) की तुलना में ज्यादा तवज्जो देते हैं. अगर स्रोत अविश्वसनीय है या फिर रिपोर्टिंग में हितों का टकराव है तो हम उसका हमेशा उल्लेख करेंगे.

स्रोत की गुणवत्ता हम इन सवालों के आधार पर तय करते हैं , “हमें गुमराह करने से उन्हें कितना फायदा या नुकसान होगा?” एक स्रोत जिसकी ग़लती से उसकी विश्वसनीयता गिरती हो (जैसे सम्मानित शोधकर्ता) वह भरोसेमंद है. उस स्रोत (जैसे गुमनाम सोशल मीडिया पोस्ट) की तुलना में, जिसे विश्वसनीयता गिरने का डर नहीं होता. किसी दावे को लेकर नतीजे पर पहुंचने के लिए हमें उच्च गुणवत्ता वाले उपलब्ध स्रोतों में कम से कम दो की जरूरत होती है. 

  • विशेषज्ञों की सहमति: अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित संगठनों और संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों के स्थापित किए गए आधार हमारे लिए निर्णय तक पहुंचने के लिए विवाद से परे हैं. फिर  चाहे वे रिसर्च के रूप में प्रकाशित हों या फिर वे आधिकारिक बयान हों.
  • समकक्ष विद्वानों के समीक्षित अनुसंधान : प्रतिष्ठित जर्नल या लेखों में प्रकाशित निष्कर्ष और नतीजे. ये जर्नल समकक्ष विद्वानों के समीक्षा किए हुए (पीयर - रिव्यू ) होने चाहिए. 
  • पक्षपात रहित सरकारी/आधिकारिक स्रोत : भरोसेमंद, प्रतिष्ठित और पक्षपात रहित सरकारी एजेंसियों से प्राप्त सूचनाएं, जिनमें आंकड़े भी शामिल हैं, इन सबके जरिए सत्यापन करना जरूरी है. इनमें राष्ट्रीय निकायों के बयान भी हो सकते हैं जिनकी अपनी विश्वसनीयता होती है और जो सटीक होते हैं (जैसे अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो या विश्व स्वास्थ्य संगठन या विश्व बैंक जैसे वैश्विक संस्थान). इनमें किसी भी पक्षपातपूर्ण राजनीतिक व्यक्ति, राजनीतिक दल या उनके प्रवक्ताओं के बयान शामिल नहीं होंगे. (जब तक कि मुद्दा सीधे तौर पर उनसे संबंधित ना हो और पूछे जा रहे मुद्दों पर उनके पास विशेष जानकारी ना हो.)
  • विशषज्ञों की राय: दावे से संबंधित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ स्थापित विशेषज्ञता या मजबूत मौजूदा संबंधों वाले व्यक्तियों या संगठनों द्वारा दिए गए सहकर्मी-समीक्षा या अन्य प्रकार की आधिकारिक राय के अलावा अन्य शोध.
  • गैर-विशेषज्ञ खोजी पत्रकारिता : ऐसे लोगों की तरफ से की गई पड़ताल जो उस खास विषय के विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन जो सम्मानित पत्रकारिता संस्थान, जांच निकाय या अनुसंधान संस्थानों से जुड़े हैं.
  • प्रत्यक्षदर्शी विवरण : घटना के प्रत्यक्षदर्शी लोगों की तरफ से दी गई प्राथमिक जानकारी. (ऐसे विवरण हमेशा पुष्ट होने चाहिए)
  • जहां संभव हो और मौजूद हो, हमारी अपनी संपादकीय टीम के सदस्य ग्राउंड पर भेजे जाते हैं. 

लॉजिकली फ़ैक्ट्स का लक्ष्य हमेशा पारदर्शिता के उद्देश्य से चेक में इस्तेमाल किए गए सभी स्रोतों का नाम बताना है, लेकिन कुछ अपवाद भी हो सकते हैं. ऐसा तब हो सकता है जब आधिकारिक प्राधिकारी किसी संगठन या संस्था के प्रवक्ता का विशिष्ट नाम बताने के बजाय उसकी ओर से बयान जारी करते हैं. अगर उनकी सुरक्षा को खतरा है तो हम स्रोत को गुमनाम भी रखेंगे. अगर दी गई जानकारी की पुष्टि नामित स्रोतों या भौतिक साक्ष्यों से की गई है तो हम उसे शामिल करेंगे. किसी स्रोत की गुमनामी बनाए रखने के निर्णय पर हमारी टीम के सीनियर लेवल के एडिटर्स द्वारा साइन किए जाने की ज़रूरत है.

हम जांच के अंत में 'रेफ़रेंस लिंक' नाम के सेक्शन में स्रोतों को शामिल करते हैं, जो एक सूची है जो यूज़र को दावे को वेरीफाई करने के लिए हमारे द्वारा सुझाए गए स्रोतों की त्वरित समीक्षा करने में मदद करती है. ये स्रोत रिपोर्ट से लेकर आधिकारिक दस्तावेज़, मीडिया लेख, आधिकारिक साइट और विशेषज्ञों के बायोस आदि तक होते हैं.

रेफ़रेंस लिंक में, हम यह भी शामिल करते हैं कि क्या ये स्रोत तटस्थ (न्यूट्रल) हैं या दावे का समर्थन या खंडन करते हैं. जब स्रोत दावे में कही गई बातों का समर्थन करता है, तो हम 'समर्थन करता है' लेबल का उपयोग करते हैं, जब वह दावे को ख़ारिज करता है, तो 'खंडन करता है' और जब वह संदर्भ प्रदान करता है, लेकिन दावे का समर्थन या खंडन नहीं करता है, तो 'न्यूट्रल' लेबल का उपयोग करते हैं.

हम चेक के टेक्स्ट में दावों के लिए आर्काइव लिंक शामिल करते हैं, और अब टेक्स्ट के भीतर सभी रेफ़रेंस लिंक को हाइपरलिंक भी करते हैं ताकि पाठक के लिए यह समझना आसान हो जाए कि चेक पढ़ते समय किस स्रोत का उपयोग किया गया था.

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अविश्वसनीय स्रोतों की बजाए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध और आधिकारिक स्रोतों से मिलने वाली जानकारी  पर भरोसा करना हमेशा मददगार होता है. क्योंकि विश्वसनीय स्रोत आपको सटीक और मुकम्मल सूचनाएं देते हैं.

जब उपलब्ध साक्ष्य दावों को मजबूती प्रदान करते नहीं दिखते या ऐसी आशंका हो कि ये साक्ष्य भ्रामक या शराररतपूर्ण हो सकते हैं तो उन्हें स्वीकार करना उपयोगी नहीं होता. इससे सच्चे विश्वास की जगह  ग़लत विश्वास को बढ़ावा मिलेगा.

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हम छह अलग-अलग तरीकों से अपने फैक्ट चेक का मूल्यांकन करते हैं. इनका मकसद हमारे निष्कर्ष का त्वरित सार बताना और ये फैसला करना होता है कि दावा विश्वसनीय है या नहीं :

  • सत्य- उपलब्ध साक्ष्य से पुष्टि होती है कि ये दावा सही है और यह मुद्दे को समझने में मददगार है.
  • आंशिक सत्य- मामले को ग़लत संदर्भ दे दिया जाए तो ये दावा भ्रामक हो सकता है. पर फिर भी यह मुद्दे को समझने में मददगार है.
  • भ्रामक – यह दावा मुद्दे को समझने में बिल्कुल मददगार नहीं. फिर भी इस दावे के कुछ हिस्से उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर सही ठहराए जा सकते हैं.
  • असत्य – उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर यह दावा पूरी तरह से ग़लत है.
  • फ़ेक - दावा उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार पूरी तरह से ग़लत है और फ़ोटो/वीडियो मनगढ़ंत है.
  • असत्यापित- उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर यह दावा सत्यापित नहीं किया जा सकता
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लॉजिकली फैक्ट्स का मिशन ग़लत और दुष्प्रचार से जुड़े नुकसान को कम करना और अंततः समाप्त करना है. हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थक हैं और ऑनलाइन किसी की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति पर सेंसरशिप के नज़रिए का विरोध करते हैं. हालांकि, जहां भ्रामक और धोखा देने वाली ऑनलाइन चर्चा व्यक्तिगत और सामाजिक नुकसान का कारण बनती है,  हमारा मानना है कि इसे पहचानने और उसका सच बताने की जरूरत है. बहस करने और ईमानदारी के साथ असहमति जताने के लिए और राजनीतिक सहयोगियों व विपक्ष से एकसमान तरीके से उच्च मानकों पर सदाचार, बराबरी और आदर हासिल करने के लिए बिना किसी पूर्वाग्रह के राजनीतिक सक्रियता बिल्कुल संभव और अपेक्षित है- ऐसा हमारा मानना है.

हम मानते हैं कि इसे हासिल करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि पक्षपात रहित निष्पक्ष संसाधन विकसित किए जाएं ताकि विवाद से परे तथ्य स्थापित हो सकें. उन तथ्यों के आधार पर एक सही स्थिति बनाई जाए. तथ्य के आधार पर बहस करने की हमारी प्रतिबद्धता को बनाए रखते हुए हर किसी को तर्क-वितर्क करने के लिए समान रूप से संसाधन उपलब्ध कराए जाएं. 

बतौर लॉजिकली फैक्ट्स कर्मचारी, हम मानते हैं कि सही और ग़लत को तय करने में अपनी भूमिका निभाते हुए लॉजिकली फैक्ट्स पर पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम का भरोसा हो. इसके अलावा, हम समझते हैं कि राजनीतिक रूप से सक्रिय रहना नागरिक का कर्तव्य है. एक स्वतंत्र फैक्ट चेकिंग संस्था के रूप में हमारी भूमिका के लिए यह जरूरी है कि हमारा काम व्यापक राजनीतिक और नैतिक विचारों से प्रेरित हो, जो हमारे व्यक्तिगत पक्षपातपूर्ण राजनीतिक हितों से परे हो.

इस प्रकार  हम यह सुनिश्चित करने का वचन देते हैं कि लॉजिकली फैक्ट्स पर हमारा सारा काम पूर्वाग्रह और पक्षपात से मुक्त है और हमारे व्यक्तिगत राजनीतिक विचारों का असर कभी भी हमारे काम पर नहीं होगा. इसके अलावा हम अपने निजी जीवन और ऑनलाइन व अन्य संचार के तरीकों में समान रूप से ऐसा आचरण रखेंगे कि कभी भी निष्पक्ष और पक्षपात ना करने वाले संगठन के रूप में लॉजिकली फैक्ट्स की स्थिति की अनदेखी ना हो.

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हमारे हितधारक, ग्राहक या हमारी मूल कंपनी द लॉजिकली लिमिटेड का हमारे फैक्ट चेकिंग के काम के प्रवाह पर कोई नियंत्रण नहीं है,  न ही वे हमारे संपादकीय फैसलों में कोई योगदान करते हैं. एडिटोरियल टीम के वरिष्ठ सदस्य (रीज़नल लीड) एडिटोरियल पैमाने, गुणवत्ता और निरंतरता के लिए जिम्मेदार होते हैं. एडिटोरियल ऑपरेशंस के ग्लोबल हेड जसकीरत सिंह बावा ही दुनिया भर में लॉजिकली की फैक्ट चेकिंग टीम के लिए संपादकीय नीति और मानकों को लेकर जिम्मेदार हैं. लॉजिकली फैक्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर बेबार्स ऑरसेक, ऑपरेशन की निगरानी और कारोबार के लाभ-हानि से जुड़ा प्रबंधन और ग्राहकों एवं हितधारकों के अकाउंट्स का प्रबंधन भी संभाल रहे हैं. वेबसाइट के ‘मीट द टीम’ पेज पर इस संबंध में विस्तार से जानकारी ली जा सकती है.

दावों और तथ्यों की जांच करते हुए हमारे फ़ैक्ट-चेकर, डिप्टी एडिटर और असिस्टेंट एडिटर की देखरेख में तीन स्तर की संरचना में काम करते हैं.

किसी भी संभावित विवादास्पद संपादकीय निर्णय, शिकायत या आवश्यक सुधार में क्षेत्रीय नेतृत्व का सीधा हस्तक्षेप शामिल होता है. ये भी एडिटोरियल ऑपरेशंस के ग्लोबल हेड को रिपोर्ट करते हैं.

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कई कारणों से फैक्ट चेक में संशोधन करने की जरूरत पड़ सकती  है. इसकी वजह नई सूचनाएं हो सकती हैं, नए साक्ष्य का पता लगना या टाइप करते समय होने वाली ग़लतियां भी इसका कारण हो सकती हैं. अगर आपको लगता है कि हमने फैक्ट चेक के किसी भी पहलू में ग़लती की है तो हमसे ‘कॉल्स टु एक्शन’ के जरिए संपर्क करें.

हर फैक्ट चेक में एक विशिष्ट पहचानकर्ता होता है जो हमारी एडिटोरियल टीम को तुरंत किसी भी फैक्ट चेक को रीकवर करने की अनुमति देता है. ऐसा अपडेट, शिकायत या सुधार के लिए हो सकता है.

तथ्यात्मक ग़लती के साथ एडिट किये गए फ़ैक्ट-चेक में एक नोट जोड़ा जाएगा जिसमें तारीख के साथ "सुधार" लिखा होगा और क्या सुधार किया गया था.

ठोस सुधार करने के बाद फैक्ट चेक का संपादन ‘सुधार’ के रूप में चिन्हित किया जाएगा. यानी सार्वजनिक किया जाएगा कि इस रिपोर्ट में सुधार किया गया है. 

यदि जारी किए जाने वाले सुधार से फ़ैक्ट चेक के निष्कर्ष में काफी बदलाव आता है और/या यह टीम द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली और नीतियों से बहुत अलग है, तो हम फ़ैक्ट चेक को हटा देंगे और ग़लती और इसके कारण का स्पष्टीकरण देंगे. हम इसे "स्पष्टीकरण" के रूप में चिह्नित करेंगे, फ़ैक्ट चेक को वापस लेने का कारण जोड़ेंगे, और समझाएंगे कि क्या सही था और क्या नहीं.

वर्तनी की ग़लतियां, टाइपोग्राफिक बदलाव, और व्याकरण संबंधी या विराम चिह्न संबंधी ग़लतियां जो वाक्य के अर्थ को नहीं बदलती हैं, उन्हें बिना किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता के अपडेट कर दिया जाएगा. जब वह मूल प्रकाशन या पोस्ट जिसमें ग़लती हुई थी, एडिट करने योग्य न हो, हम मूल संशोधन को उसी प्रारूप और चैनल में प्रसारित करेंगे.

शिकायतों की जांच एडिटोरियल टीम के वरिष्ठ सदस्य करेंगे. उसमें सुधार या ‘जैसा है वैसा ही छोड़ देने’ के बारे में फैसले का स्पष्टीकरण के साथ तुरंत जवाब दिया जाएगा. एडिटोरियल टीम का एक सदस्य हमारे सुधार चैनलों और पाइपलाइन की प्रतिदिन निगरानी करता है ताकि पब्लिक से प्राप्त सभी अनुरोधों की समीक्षा की जा सके और उसके अनुसार जवाब दिया जा सके.

यदि कोई सुधार जारी करने की ज़रूरत है, तो टीम का एक वरिष्ठ सदस्य रीजनल हेड के साथ इस पर चर्चा करेगा, सुधार की समीक्षा करेगा और यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई ग़लती न हो, सुधार की ज़रूरत को अनुमोदित करेगा.

अगर आप हमारे जवाब से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप हमारे फैक्ट चेकिंग यूनिट के वरिष्ठ संपादकीय सदस्यों को आगे जांच के लिए शिकायत कर सकेंगे जो इस मुद्दे को हल करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे. इनमें दावे की जांच के लिए स्वतंत्र सलाहकार की नियुक्ति भी शामिल है.

अपडेट या सुधार के लिए जिन यूजर्स को फैक्ट चेक मिला है या जिन्होंने इसे ढूंढ़ा है, उन्हें सूचित किया जाएगा.

यहां हमारी रिपोर्टों की एक सूची है जहां सुधार किए गए थे.

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अगर आपके संज्ञान  में आता है कि हमारे पत्रकारीय, अनुसंधान या शैक्षिक कार्यों के माध्यम से कुछ ऐसा प्रकाशित हुआ है जिसे आप ग़लत, भ्रामक या अनुचित मानते हैं, तो फैक्ट चैक पेज के आखिर में मौजूद फॉर्म के माध्यम से सुधार का आग्रह सबमिट करें. आप फ़ॉर्म हमारे ‘संपर्क करें' पृष्ठ पर भी पा सकते हैं।

ऐसी हर शिकायत हमारे संपादकीय नेतृत्व के सामने उठाई जाएगी और 48 घंटे के भीतर उसका जवाब दिया जाएगा. कोई भी शिकायत, जिसमें तथ्यात्मक ग़लती की सही पहचान की गई हो, के परिणामस्वरूप आर्टिकल में सार्वजनिक रूप से सुधार किया जाएगा, तथा उसे समान प्रमुखता दी जाएगी.  हमारी रिपोर्टिंग में आलोचना का विषय बने किसी भी व्यक्ति को जवाब देने का अधिकार है. बशर्ते प्रथम दृष्टया मामला बनता हो जिससे कि हम अपनी आलोचना को उचित रूप से देख सकें. जवाब नहीं देने की वजह भी वेबसाइट में प्रकाशित की जाएगी. 

अगर आप मानते हैं कि लॉजिकली फैक्ट्स IFCN कोड के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है, तो आप IFCN सीधे सूचित कर सकते हैं.