लेखक: राहुल अधिकारी
अप्रैल 3 2024
यह वीडियो अप्रैल 2019 का है, जब गृह मंत्री अमित शाह उत्तर प्रदेश के काशगंज में एक रैली को संबोधित कर रहे थे.
दावा क्या है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि उन्होंने एक सार्वजनिक रैली में गैंगस्टर से नेता बने मुख़्तार अंसारी "हत्या" करने की बात स्वीकार की. कथित तौर पर मुख़्तार अंसारी की 28 मार्च को उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई.
57 सेकंड के लंबे वीडियो में, अमित शाह को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "सबसे बड़ा जो काम किया है वह यह है कि हमने खुद को निज़ाम से मुक्त दिलाई है... निज़ाम जानते हो क्या है? मैं बताता हूं. निजाम में 'एन' से मतलब है नसीमुद्दीन सिद्दीकी से मुक्ति भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिलाई. 'आई' से मतलब है इमरान मसूद से मुक्ति यानी भारतीय जनता पार्टी ने दिलाई." इसी तरह वह वह आज़म खान, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का नाम लेते हुए उनसे मुक्ति दिलाने की बात कहते हैं. आगे वह कहते हैं कि अगर एसपी-बीएसपी (समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी) गठबंधन वापस आता है, तो यूपी पर फिर से निज़ाम का शासन होगा.
कई यूज़र्स ने वीडियो को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया. पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
वायरल पोस्ट के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, दावा भ्रामक है. मुख़्तार अंसारी समेत विपक्षी नेताओं को हराने की बात कर रहे अमित शाह का ये वीडियो पुराना है और बिना किसी संदर्भ के शेयर किया गया है.
सच्चाई क्या है?
जब हमें रिवर्स इमेज सर्च की मदद से वीडियो को सर्च किया तो पाया कि वीडियो असल में 16वीं लोकसभा चुनाव से पहले 10 अप्रैल, 2019 का है. इस वीडियो को भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से इस शीर्षक के साथ अपलोड किया गया था, 'भाजपा ने यूपी को निज़ाम से मुक्त कर दिया है: श्री अमित शाह, कासगंज.' यूट्यूब वीडियो भी 57 सेकंड लंबा है और उस समय इसे बड़े पैमाने पर शेयर किया गया था.
हमें बीजेपी के यूट्यूब चैनल पर उसी तारीख को अपलोड किया गया वीडियो का एक लंबा वर्ज़न भी मिला.
वायरल वीडियो 34:34 मिनट लंबे मूल भाषण की समय सीमा 19:30 से 20:27 तक चलता है. भाषण में, अमित शाह ने कहा कि बीजेपी की सबसे बड़ी उपलब्धि 'निज़ाम' से मुक्ति प्राप्त करना है, जिसका मतलब विपक्षी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी, इमरान मसूद, आज़म खान, अतीक अहमद और मुख़्तार अंसारी हैं. जबकि सिद्दीकी और मसूद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य हैं, आज़म खान और अतीक अहमद ने समाजवादी पार्टी (एसपी) के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
उत्तर प्रदेश के मऊ सदर से पांच बार विधायक रहे मुख़्तार अंसारी शुरू में बसपा का हिस्सा थे. उन्होंने दो बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में और एक बार अपनी पार्टी के बैनर तले इस सीट से चुनाव लड़ा. हालांकि, 2017 में वह बसपा में लौट आए.
अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान 10 अप्रैल, 2019 को फ़िरोज़ाबाद में एक और रैली को संबोधित किया. उन्होंने उस रैली में भी 'निज़ाम' का ज़िक्र किया था और कहा था, "राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद से सभी कामों में 'निज़ाम'से छुटकारा पाना सबसे बड़ी उपलब्धि थी."
शाह ने फ़िरोज़ाबाद में आगे कहा था, “या तो उन्हें जेल भेज दिया गया है, या ये लोग उत्तर प्रदेश छोड़ चुके हैं. अगर एसपी-बीएसपी गठबंधन सत्ता में आया तो नसीमुद्दीन सिद्दीकी, इमरान मसूद, आज़म खान, अतीक अहमद और मुख़्तार अंसारी फिर से राज्य में शासन करेंगे और दंगे फिर से लौट आएंगे.'
उक्त 'निज़ाम' नेताओं में से, अतीक अहमद की 2023 में हत्या कर दी गई थी जब पुलिस उसे जेल से अस्पताल ले जा रही थी, जबकि मुख़्तार अंसारी ने उत्तर भारत की अलग-अलग जेलों में क़रीब 19 साल बिताने के बाद अंतिम सांस ली.
निर्णय
यूपी के एसपी-बीएसपी गठबंधन नेताओं की आलोचना करते हुए अमित शाह का एक पुराना वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया गया कि उन्होंने मुख़्तार अंसारी की हत्या की बात स्वीकार कर ली है. यह वीडियो अंसारी की मौत से पहले 2019 का है. वीडियो में अमित शाह 2017 में राज्य में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद विशेष व्यक्तियों को जेल भेजे जाने या उत्तर प्रदेश छोड़ने का ज़िक्र कर रहे थे. इसलिए, हम वायरल दावे को भ्रामक मानते हैं.
(ट्रांसलेशन: सलमान)