लेखक: मोहम्मद सलमान
सितम्बर 26 2023
भारत में हिन्दू लड़कों द्वारा मुस्लिम छात्रा के साथ मारपीट के दावे से शेयर किया गया वीडियो असल में पुराना है और इंडोनेशिया के एक स्कूल का है.
(ट्रिगर वार्निंग: वीडियो में हिंसक दृश्य हैं. पाठकों को विवेक की सलाह दी जाती है.)
29 सेकंड का एक वीडियो क्लिप, जिसमें कुछ छात्र एक हिजाब पहनी हुई छात्रा को मारते हुए दिखाई दे रहे हैं, इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि यह वीडियो भारत का है और हिंदू छात्र एक मुस्लिम लड़की के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं.
वीडियो इस कैप्शन के साथ प्रसारित किया जा जा रहा है, “ये किसी कॉलेज का वीडियो है और ये ऐसा कॉलेज है जहां हिंदू लड़के लड़कियां साथ पढ़ाई करते हैं यहां देखिए हिजाब वाली लड़कियों के साथ कैसा बर्ताओ करते हैं संघी मानसिकता वाले लड़के माना की पढ़ना बहुत जरूरी है लेकिन इस तरह के कॉलेज में बिल्कुल नहीं.” आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां, यहां, यहां और यहां देखें.
वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, हमने पाया कि यह वीडियो फ़रवरी 2020 का है और इंडोनेशिया का है और इसका भारत की किसी भी घटना से संबंध नहीं है.
सच्चाई क्या है?
हमने वायरल वीडियो के कीफ़्रेम्स पर रिवर्स इमेज सर्च किया. इस दौरान हमें इंडोनेशियाई न्यूज़ आउटलेट, ट्रिब्यून न्यूज पर 14 फ़रवरी, 2020 को प्रकाशित एक यूट्यूब रिपोर्ट मिली. इस वीडियो में वायरल वीडियो के समान दृश्य थे, जिसे 2:24 मिनट की समयावधि पर देखा जा सकता है. यूट्यूब वीडियो का शीर्षक इंडोनेशियाई भाषा में में था, जिसका हिंदी अनुवाद, "पुरवोरेजो में लड़की को धमकाने और दुर्व्यवहार करने वाले तीन छात्रों को हिरासत में नहीं लिया गया, बल्कि स्कूल के प्रिंसिपल ने शांति की आशा की."
वायरल वीडियो और यूट्यूब वीडियो की तुलना (सोर्स: एक्स/ ट्रिब्यून न्यूज, यूट्यूब)
हमें इसी घटना से जुड़ी कई अन्य इंडोनेशियाई न्यूज़ रिपोर्ट्स भी मिलीं. कोम्पास न्यूज़ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह घटना पुरवोरेजो में मुहम्मदियाह नीड मिडिल स्कूल (एसएमपी) में हुई थी. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि संदिग्धों के नाम छिपाए गए थे लेकिन उन पर बच्चो के ख़िलाफ़ हिंसा के कृत्यों से संबंधित बाल संरक्षण कानून के अनुच्छेद 76सी के तहत आरोप लगाए गए थे. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो के दृश्य दिखाने वाला स्क्रीनशॉट मौजूद है.
निर्णय
वीडियो में दिखाई गई घटना भारत की नहीं, बल्कि इंडोनेशिया के एक स्कूल की है. इसलिए, हम इस दावे को ग़लत मानते हैं.