लेखक: नबीला खान
अगस्त 14 2023
यह साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय अध्ययन या वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं कि आम खाने के बाद कोल्ड ड्रिंक पीना घातक है.
संदर्भ
वाट्सएप में यह दावा एक बार फिर वायरल हो रहा है कि आम खाने के बाद गैस युक्त पेय के सेवन से मौत हो जाती है. इस संदेश में यह आरोप है कि कुछ लोगों ने जैसे ही एक के बाद एक इन दोनों का सेवन किया, वे बेहोश हो गये और अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. इस पोस्ट में यह भी दावा किया गया है कि डॉक्टरों ने इस संयोजन का उपभोग नहीं करने पर जोर दिया है क्योंकि आम का साइट्रिक एसिड और सोडा कार्बोनिक एसिड मिलकर पेट में जानलेवा प्रतिक्रिया पैदा करते हैं.
सच्चाई
लॉजिकली फैक्ट्स को ऐसा कोई भरोसेमंद अध्ययन ऑनलाइन नहीं मिला जो इस दावे का समर्थन करते हों.
यह परखने के लिए कि इस विषय पर कोई नयी सूचना है या नहीं, हम डॉ गोविंद नंद कुमार के पास पहुंचे जो बेंगलुरू में मणिपाल हॉस्पिटल में सर्जिकल गैस्ट्रियोनिट्रोलॉजिस्ट हैं और न्यूयॉर्क के वील कॉर्नेल मेडिकल सेंटर में फैकल्टी हैं.
दावे को गलत बताते हुए उन्होंने कहा, “आम और गैस युक्त पेय एक साथ उपभोग करना घातक नहीं है. बल्कि, यह आपको असहज बनाता है क्योंकि आम में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ऊंचा होता है और आम खाने के बाद यह बहुत सामान्य है कि पेट भरा हुआ लगता है. सोडा वाटर के साथ यह अहसास बढ़ जाता है.”
नंद कुमार ने कहा, “जैसा कि सामने आयी सूचनाओं में सुझाव भी हैं कि इससे जीवन को कोई खतरा नहीं है या स्वास्थ्य पर इसका कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा.” उन्होंने कहा, “अक्सर मरीज और परिजन गलत सलाह का पालन करते हैं जो अनावश्यक चिंता और बेचैनी बढ़ाता है. हमेशा सूचना के स्रोत और सामग्री की प्रामाणिकता की जांच करें. सोशल मीडिया ने संचार के लिए चमत्कार किया है लेकिन सूचना की सत्यता की जांच की जानी चाहिए.”
हमने द क्विंट और बैंगलोर मिरर द्वारा क्रमश: 2019 और 2017 में इस बारे में किए गये फैक्ट चेक का भी मुआयना किया.
क्यों कुछ दावे दोबारा सामने आते हैं?
कुछ दावे जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव किसी व्यक्ति पर हो सकता है और वह किसी घटना या तारीख से जुड़ा हुआ है तो अक्सर वे दोबारा सामने आते हैं. वे भावना पैदा करते हैं जो नकारात्मक (भय, गुस्सा) या सकारात्मक (खुशी) हो सकते हैं. ये डींग हांकने वाले दावों के रूप में जाने जाते हैं.
गलत सूचनाओं पर लोगों के विश्वास करने को लेकर विभिन्न अध्ययनों में कई कारण सामने आएं हैं जिसमें विश्वास की पुष्टि के प्रति पूर्वाग्रह शामिल हैं. बहरहाल पबमेड में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है, “गलत सूचना प्रसंस्करण पर भावनाओं के प्रभाव का अध्ययन राजनीति के संदर्भ में किया गया है, लेकिन जब स्वास्थ्य संबंधी गलत सूचना की बात आती है तो भावनाओं की भूमिका के बारे में बहुत कम जानकारी है भले ही स्वास्थ्य से जुड़े विषयों से जबरदस्त भावनाएं पैदा होती हों जिनमें भय और बेचैनी शामिल हैं.”
फैसला
कई फैक्ट चेकिंग संगठनों ने इस गलत सूचना को खारिज किया है. इस साल एक बार फिर सोशल मीडिया पर यह अफवाह वायरल हुई है लेकिन यह गलत है.