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नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पैकेज्ड दूध को लेकर यह एडवाइज़री जारी नहीं की है

लेखक: नबीला खान

फ़रवरी 22 2024

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नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पैकेज्ड दूध को लेकर यह एडवाइज़री जारी नहीं की है दावा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत सरकार को एक एडवाइज़री जारी की है जिसमें कहा गया है कि दूषित दूध के सेवन के कारण 2025 तक 87 प्रतिशत आबादी कैंसर से पीड़ित हो जाएगी. (सोर्स: व्हाट्सएप/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ऐसी कोई एडवाइज़री जारी की है और न ही ऐसी कोई रिपोर्ट प्रकाशित की है जो पैकेज्ड दूध के सेवन को कैंसर से जोड़ती हो.

दावा क्या है?

एक कथित अख़बार की कतरन का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है. इसमें कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत सरकार को एक एडवाइज़री जारी की है जिसमें कहा गया है कि दूषित दूध के सेवन के कारण 2025 तक 87 प्रतिशत आबादी कैंसर से पीड़ित हो जाएगी.

इस स्क्रीनशॉट में कहा गया है कि पैकेटबंद दूध में एक ख़ास तरह का पाउडर होता है जो हानिकारक है. इसमें आगे बताया गया है कि यह जानकारी पिछले कुछ दिनों से जनता से छिपाई गई है और लोगों को सावधान रहना चाहिए. 

सच्चाई क्या है?

हमने वायरल अख़बार की कतरन के स्क्रीनशॉट की जांच की और पाया कि मैसेज की पहली और दूसरी लाइन का फॉन्ट साइज अलग-अलग है. इसके अलावा, पूरी स्टोरी में टेक्स्ट का आकार बदलता रहता है और लाइनों के एलाइनमेंट में भी अंतर दिखाई देता है.

विसंगतियों को दिखाने वाले व्हाट्सएप मैसेज का स्क्रीनशॉट (सोर्स: व्हाट्सएप/स्क्रीनशॉट)

हमें ऐसी कोई न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली जो पुष्टि करती हो कि 2025 तक 87 प्रतिशत आबादी कैंसर से पीड़ित होगी. लॉजिकली फ़ैक्ट्स को एक ईमेल के जवाब में, डब्ल्यूएचओ ने पुष्टि की कि उन्होंने ऐसी कोई एडवाइज़री जारी नहीं की है. उन्होंने आगे कैंसर पर देश-विशिष्ट डेटा शेयर किया और अनुमानित कैंसर मामलों के तहत नवीनतम डेटा सेट 2045 के लिए है, 2025 के लिए नहीं.

हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है, "मीडिया के एक वर्ग में आई रिपोर्टों के उलट, डब्ल्यूएचओ यह बताना चाहता है कि उनकी तरफ़ से दूध/दूध उत्पादों में मिलावट के मुद्दे पर भारत सरकार को कोई एडवाइज़री जारी नहीं की गई है." डॉक्यूमेंट में अपलोड किए जाने की तारीख का ज़िक्र नहीं है, लेकिन हमने पाया कि इसे नवंबर 2020 में जारी किया गया था.

डब्ल्यूएचओ का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि दूध में मिलावट को लेकर कोई एडवाइज़री जारी नहीं की गई है. (सोर्स: डब्ल्यूएचओ)

जनवरी 2023 में, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 19 जनवरी, 2023 को एक प्रेस बयान में कहा, "भारत सरकार को डब्ल्यूएचओ की एडवाइज़री के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट में कथित तौर पर कहा गया है कि, यदि दूध और दूध के उत्पादों में मिलावट की तुरंत जांच नहीं की गई तो साल 2025 तक 87 प्रतिशत नागरिक कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होंगे. इस तरह की ग़लत जानकारी के प्रसार से उपभोक्ताओं में अनावश्यक डर पैदा होता है." बयान में दोहराया गया है कि सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर प्रसारित इस तरह की ग़लत जानकारी पर विश्वसन नहीं किया जाना चाहिए.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा जारी बयान का स्क्रीनशॉट (सोर्स:पीआईबी)

क्या आपका दूध सुरक्षित है?

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफ़एसएसएआई) के दूध की गुणवत्ता पर 2019 के सर्वे के मुताबिक़, "93 प्रतिशत से अधिक नमूने, यानी 6,432 नमूनों में से 5,976, लोगों के इस्तेमाल के लिए बिल्कुल सुरक्षित पाए गए."

6,432 दूध के नमूनों में से केवल 12 में मिलावट थी, जिससे ऐसा दूध लोगों के इस्तेमाल के लिए असुरक्षित हो गया. रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि यह एक चिंता का विषय है, लेकिन इससे यह व्यापक धारणा दूर हो जाती है कि देश में दूध में बड़े पैमाने पर मिलावट की जाती है."

2022 में, एफ़एसएसएआई ने 12 राज्यों में दूध सर्वे किया, जिनमें से 10 में गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) के लक्षण और संकेत थे. अध्ययन के नतीजे में कहा गया कि चुने गए 12 राज्यों में बेचा जाने वाला दूध इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित है.

इसके अलावा, कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार यह साबित करने के लिए पर्याप्त अच्छे सबूत नहीं हैं कि दूध और डेयरी कैंसर का कारण बन सकते हैं.

निर्णय

डब्ल्यूएचओ ने दूध में मिलावट के बारे में भारत सरकार को कोई एडवाइज़री जारी नहीं की और न ही ऐसी कोई रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें पैकेज्ड दूध के सेवन से कैंसर का ख़तरा बताया गया हो.

(ट्रांसलेशन: सलमान)

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