होम नहीं, स्कूली बच्चों द्वारा केबल क्रॉसिंग में नदी पार करने का वीडियो भारत का नहीं है

नहीं, स्कूली बच्चों द्वारा केबल क्रॉसिंग में नदी पार करने का वीडियो भारत का नहीं है

लेखक: मोहम्मद सलमान

जुलाई 29 2024

शेयर आर्टिकल: facebook logo twitter logo linkedin logo
नहीं, स्कूली बच्चों द्वारा केबल क्रॉसिंग में नदी पार करने का वीडियो भारत का नहीं है दावा है कि वायरल वीडियो भारत का है, जहां बच्चों को स्कूल जाने के लिए केबल क्रॉसिंग का उपयोग करते हुए नदी पार करना पड़ता है. (सोर्स: एक्स/फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

वीडियो नेपाल पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री का है, जिसमें कुमपुर नामक गांव के बच्चों को स्कूल जाने के लिए केबल क्रॉसिंग से नदी पार करते हुए दिखाया गया है.

दावा क्या है?

सोशल मीडिया पर स्कूली बच्चों का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे केबल क्रासिंग के ज़रिये ख़तरनाक तरीक़े से जान जोखिम में डालकर नदी पार करते नज़र आ रहे हैं. बच्चों की यूनिफॉर्म और कंधों पर टंगे बस्ते को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे स्कूल जा रहे हैं या स्कूल से लौट रहे हैं. इस वीडियो को कांवड़ यात्रा की पृष्ठभूमि में भारत का बताकर शेयर किया जा रहा है. 

गौरतलब है कि जुलाई 22 से शुरू हुई कांवड़ यात्रा के लिए राज्य सरकारों ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं और कांवड़ियों के खाने-पीने और ठहरने का भी इंतजाम किया है.  

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर कर कैप्शन दिया, "सरकार ने जितनी ताकत कावड़ यात्रा पर लगाई है काश! कि थोड़ा सा ध्यान इन स्कूल जाते बच्चों के रास्ते के लिए भी दे देते." इस पोस्ट को अब तक 56,000 से ज़्यादा बार देखा गया है. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं. 

वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, यह वीडियो एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज़, 'स्कूल जाने के सबसे ख़तरनाक रास्ते' से लिया गया है, जिसमें नेपाल के पहाड़ी गांव कुमपुर के स्कूली बच्चों को अपने स्कूल जाने के लिए केबल क्रॉसिंग पर एक नदी पार करते हुए दिखाया गया है. इसका भारत से कोई संबंध नहीं है. 

हमने सच का पता कैसे लगाया? 

हमने देखा कि वायरल वीडियो के ऊपर दाईं तरफ़ “@FreeDocumentary” का लोगो नज़र आ रहा है. इससे संकेत लेते हुए हमने इसे फ़ेसबुक पर खोजा, तो यही वीडियो मई 1, 2024 को ‘फ़्री डाक्यूमेंट्री’ (आर्काइव यहां) नाम के पेज पर रील के रूप में अपलोड मिला, जिसके कैप्शन में लिखा था, “नेपाल में स्कूल जाने के ख़तरनाक रास्ते.” (अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद)

इसके बाद, उसी पेज पर मौजूद यूट्यूब लिंक के ज़रिये, हम ‘फ्री डॉक्यूमेंट्री’ चैनल पर पहुंचे, जहां हमें सितंबर 6, 2015 को अपलोड किया गया वीडियो (आर्काइव यहां) का लंबा वर्ज़न मिला. इस वीडियो का टाइटल है- "स्कूल जाने के सबसे ख़तरनाक रास्ते | नेपाल | फ़्री डाक्यूमेंट्री" क़रीब 48 मिनट के वीडियो में वायरल हो रहे वीडियो वाला हिस्सा 23:05 की समयावधि पर देखा जा सकता है. 

इस डाक्यूमेंट्री में नेपाल के पहाड़ी गांव कुमपुर के बच्चों के स्कूल जाने के संघर्ष को दिखाया गया है. वीडियो में दिख रहे बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर जंगलों, खेतों और फिर उबड़-खाबड़ पहाड़ों को पार कर केबल क्रासिंग के सहारे गजुरी स्थित श्री आदर्श माध्यमिक विद्यालय पहुंचते हैं. इसमें बच्चों के, उनके परिवार और टीचर्स के इंटरव्यू भी दिखाए गए हैं. 

नेपाल पर आधारित यह डाक्यूमेंट्री, 'स्कूल जाने के सबसे ख़तरनाक रास्ते' की सीरीज़ का एक एपिसोड है, जिसे  जोआचिम फ़ॉस्टर ने डायरेक्ट किया है.

हमने गूगल मैप पर डॉक्यूमेंट्री में दिखाए गए आदर्श माध्यमिक विद्यालय को जियोलोकेट किया और पाया कि यह गजुरी ग्रामीण नगर पालिका में स्थित है. हमने यह भी पाया कि कुमपुर गांव और गजुरी के बीच त्रिशूली नदी बहती है, जिसे पार करके बच्चे स्कूल पहुंचते हैं. 

गूगल मैप्स का स्क्रीनशॉट. (गूगल मैप्स/स्क्रीनशॉट)

निर्णय

हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि नेपाल पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री का वीडियो क्लिप कांवड़ यात्रा की पृष्ठभूमि में भारत का बताकर शेयर किया जा रहा है. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

0 ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.