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उत्तर प्रदेश में समाचार समूहों ने मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को सांप्रदायिक रंग दिया

लेखक: अन्नेट प्रीथि फुर्टाडो

अगस्त 14 2023

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उत्तर प्रदेश में समाचार समूहों ने मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को सांप्रदायिक रंग दिया

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

आरोपी की पहचान हरीश, अजय, शिवम और केशव के रूप में कर ली गई है. पुलिस ने स्पष्ट किया है कि घटना सांप्रदायिक नहीं थी.

संदर्भ

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के एक गांव में 31 मई को चार मंदिरों में तोड़फोड़ की गई. उपद्रवियों ने कई हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों को खंडित किया. घटना के तुरंत बाद तोड़ी गई मूर्तियों के विजुअल सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने लगे. विजुअल के साथ शेयर किए जा रहे कुछ मैसेज सांप्रदायिक और मुस्लिम विरोधी भी थे. .

सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं, आग में घी डालते हुए कुछ मुख्य धारा के मीडिया  संस्थानों ने भी अपनी कवरेज में परोक्ष रूप से मुसलिम समुदाय के लोगों को हिन्दू मूर्तियां तोड़े जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया.

उदाहरण के लिए, 2 जून को आज तक के कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी ने हिंदी शो ‘ब्लैक एंड ह्वाईट’ में दावा किया कि भारत में मंदिरों के अपमान पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई. यहां तक कि मस्जिद या किसी चर्च पर ‘फर्जी ख़बरों’ से भी देश में दंगे भड़क सकते हैं. हालांकि, सुधीर मुस्लिम समुदाय से जुड़ा कोई सीधा संदर्भ देने से बचे, उन्होंने बुलंदशहर में रहने वाले हिन्दुओँ और मुसलमानों की प्रतिशत आबादी को चिन्हित किया. उन्होंने मई में दिल्ली में घटी एक घटना का भी जिक्र किया जिसमे एक नाबालिग लड़की की हत्या के मामले में मुस्लिम युवक को बुलंदशहर से गिरफ्तार किया गया था.

1 जून को ज़ी उत्तर प्रदेश उत्तराखंड ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें तीन पैनलिस्ट और न्यूज एंकर  बुलंदशहर के चार मंदिरों में मूर्तियां तोड़े जाने को लेकर आयोजित डिबेट में शामिल थे. डिबेट का शीर्षक रखा गया था, “बुलंदशहर में औरंगजेबी गैंग?” औरंगजेब मुगल शासक था जिसने भारत पर करीब पांच दशक तक शासन किया.  

सच्चाई

8 जून को हुई प्रेस कान्फ्रेन्स में बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) श्लोक कुमार ने बताया कि वारदात में शामिल होने की आशंका में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि इनमें से एक हरीश उर्फ इल्लू है जो बराल गांव का रहने वाला है और उसकी पहचान मुख्य आरोपी के रूप में हुई है. SSP ने बताया कि हरीश और दूसरा आरोपी एक-दूसरे को जानते थे और अक्सर एक साथ शराब पिया करते थे.

उन्होंने आगे ये भी बताया कि घटना वाले दिन आरोपी शराब के नशे में था. पुलिस ने कई टीमों का गठन किया जिन्होंने आसपास के इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस फुटेज और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग की जांच की. SSP ने कहा कि इन सबूतों के आधार पर पुलिस इस वारता में शामिल अन्य लोगों का भी पता लगाने में सफल हुई.

8 जून को उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर एक प्रेस रिलीज प्रकाशित हुई. इस रिलीज में अभियुक्तों की तस्वीरें थीं. प्रेस रिलीज में बताया गया कि चार लोगों- हरीश (उर्फ ईलू), अजय (पिता राजपाल), शिवम (पिता सुंदर) और केशव (पिता दीपचंद)- को मंदिर में तोड़-फोड़ करने के शक के आधार पर उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था. आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, अतिरिक्त सबूत जुटाने के लिए आगे की जांच जारी है.   

पुलिस ने इस बात की पुष्टि की कि ये कोई सांप्रदायिक मामला नहीं था. लॉजिकली फैक्ट्स से बात करते हुए बुलंद शहर के पुलिस अधीक्षक (सिटी) ने बताया, “मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि मंदिर में तोड़फोड़ की इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. इस घटना में गिरफ्तार किए गए सारे आरोपी हिन्दू हैं और बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.”

बहरहाल इससे पहले कि पुलिस आरोपियों को पकड़ पाती, सोशल मीडिया यूजर और आज तक जैसे कुछ चैनलों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग दे दिया. 8 जून को सुधीर चौधरी ने ट्वीट कर स्पष्ट किया कि घटना में शामिल लोग हिन्दू थे. हालांकि उनके शो में 5 मिनट का वो हिस्सा, जिसमें मुस्लिम समुदाय पर उंगली उठाई गयी थी, बिना किसी अपडेट या स्पष्टीकरण के आज तक के यूट्यूब चैनल पर वैसे ही बना रहा. 

फैसला

बुलंदशहर में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ करने के आरोप में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है जिनकी पहचान हरीश, जय, शिवम और केशव के रूप में हुई. सोशल मीडिया यूजर और कुछ मीडिया संस्थानों ने घटना को गलत सांप्रदायिक रंग दिया.

 

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