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घरेलू हिंसा के पुराने वीडियो को फ़र्ज़ी सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया गया

लेखक: मोहम्मद सलमान

मई 27 2024

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घरेलू हिंसा के पुराने वीडियो को फ़र्ज़ी सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया गया दावा किया जा रहा है कि बेंगलुरु में एक मुस्लिम पति ने बच्चे के जन्मदिन पर हिंदू परंपरा के मुताबिक दीपक जलाने पर अपनी हिंदू पत्नी को बेरहमी से पीटता है. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

वीडियो 2015 का है और वीडियो में दिख रहा जोड़ा मुस्लिम समुदाय से है. इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.

ट्रिगर वार्निंग: स्टोरी में घरेलू हिंसा का विवरण है. पाठकों को विवेक की सलाह दी जाती है. 

दावा क्या है?

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख़्स छोटे बच्चे की मौजूदगी में एक महिला को बेरहमी से पीटता नज़र आ रहा है. इस वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक के बेंगलुरु में हिंदू महिला के साथ हिंसा करने वाला शख़्स उसका मुस्लिम पति है, जो बच्चे के जन्मदिन पर हिंदू परंपरा के मुताबिक़ दीपक जलाने पर उसकी पिटाई कर रहा है.

वीडियो में, एक महिला और एक बच्चे को जन्मदिन की पार्टी मनाते हुए देखा जा सकता है, तभी एक शख़्स महिला पर चिल्लाना शुरू कर देता है और उस पर बेरहमी से हमला कर देता है.

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो के साथ कैप्शन दिया, "बेंगलुरु में एक हिंदू लड़की ने आईटी प्रोफेशनल मोहम्मद मुश्ताक से शादी कर ली। अपने बच्चे के जन्मदिन पर उन्होंने हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक दीपक जलाया। देखिए उसने उसके साथ कैसा व्यवहार किया." पोस्ट को अब तक 196,000 से ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें और अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें.

वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, वायरल हो रहा वीडियो 2015 का है और वीडियो में नज़र आने वाला जोड़ा - पति और पत्नी- मुस्लिम समुदाय से है. इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.

हमने सच का पता कैसे लगाया?

हमने संबंधित कीवर्ड्स के ज़रिये खोजबीन की, तो हमें वायरल वीडियो से जुड़ी घटना पर इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट मिली. अक्टूबर  4, 2022, को प्रकाशित रिपोर्ट में वायरल वीडियो के साथ उसी पीड़िता का एक और वीडियो है, जिसमें वह अपना नाम 'आयशा' बताती है और स्पष्ट करती है कि वायरल वीडियो में वही है.

वीडियो में, आयशा ने बताया कि वह पिछले कुछ सालों से अपने पति (मोहम्मद मुश्ताक़) से अलग हो चुकी हैं. उन्होंने बताया कि उसके पति ने उसे तलाक देने से इनकार कर दिया है और इसके बजाय उसने दूसरी शादी कर ली है और उसकी नई शादी से एक बच्चा भी है. यहां तक कि उसने उसका सामान वापस देने से भी इनकार कर दिया है और उसके और उसके परिवार के ख़िलाफ़ कई मानहानि के मामले दायर किए हैं.

 

इंडिया टुडे रिपोर्ट में मौजूद वीडियो का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: इंडिया टुडे/स्क्रीनशॉट)

यह वीडियो 2022 में इंस्टाग्राम पर सुहैल रसूल नाम के एक कंटेंट क्रिएटर द्वारा शेयर किए जाने के बाद वायरल हो गया था. हालांकि, वीडियो को अब हटा दिया गया है.

इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए तत्कालीन दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पत्र लिखकर आरोपी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की अपील की थी. उन्होंने इस पत्र को अक्तूबर 3, 2022 को अपने एक्स अकाउंट (आर्काइव यहां) से भी शेयर किया था.

हमने पाया कि पति मोहम्मद मुश्ताक ने अपने नाबालिग बच्चे की कस्टडी पाने के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हालांकि, कोर्ट ने उनकी याचिका ख़ारिज कर दिया और बच्चे की कस्टडी मां यानी आयशा के पास ही रहने का आदेश दिया. लेकिन कोर्ट ने मुलाक़ात का अधिकार दे दिया था. इसके अलावा, आदेश में मोहम्मद मुश्ताक को एक महीने के भीतर आयशा को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया और कहा गया कि अगर उसने ऐसा नहीं किया, तो वह मुलाक़ात के अधिकार को खो देगा.

दिसंबर 21, 2021 के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि दोनों पक्ष सुन्नी मुसलमान हैं. दोनों ने 2009 में बेंगलुरु में शादी की थी और फिर 2013 में उनका एक बच्चा हुआ था. हमने कोर्ट के रिकॉर्ड देखे और पाया कि दंपति 2016 से अलग रह रहे थे और 2022 में उनका तलाक़ हो गया था.

हमें 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' के इंस्टाग्राम पेज पर अपलोड किया गया एक वीडियो (आर्काइव यहां) भी मिला, जिसमें आयशा को अपनी आपबीती सुनाते हुए देखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि वायरल वीडियो 2015 का है और उनके बेटे के दूसरे जन्मदिन के मौक़े पर शूट किया गया था.

निर्णय 

हमारी अब तक की जांच से यह साफ हो गया है कि वायरल वीडियो 2015 का है और इसमें दिख रहे दोनों जोड़े मुस्लिम समुदाय से हैं और घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. इसलिए, हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.