लेखक: मोहम्मद सलमान
जून 5 2024
मृतक रामेश्वर के भाई कालूराम ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स को बताया कि उसके भाई पर हमला करने वालों में कोई भी व्यक्ति मुस्लिम नहीं था.
(ट्रिगर वार्निंग: वीडियो में हिंसा के विचलित करने वाले दृश्य हैं, पाठकों को विवेक का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है)
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ लोग एक युवक को लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटते नज़र आ रहे हैं. इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों को एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या करते हुए दिखाया गया है.
वायरल हो रहे वीडियो में तीन हिस्से हैं; जिसकी शुरुआत में युवक की बेरहमी से पिटाई दिखाई गई है, जबकि दूसरे हिस्से में हमलावर पुलिस की गिरफ़्त में नज़र आ रहे हैं और इसके बाद घरों में बुलडोज़र चलते हुए दिख रहा है. वीडियो पर लिखा है - "मुस्लिमों ने खुलेआम पीटा और नरसंहार किया एक दलित युवक का."
इस वीडियो को एक्स (पूर्व में ट्विटर) और फ़ेसबुक पर समान दावे के साथ शेयर किया गया है.
वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, वायरल दावा ग़लत है. यह घटना राजस्थान के झुंझुनू ज़िले की है, जहां शराब माफ़ियाओं ने रामेश्वर का अपहरण कर उसे बेरहमी से पीटा था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी. इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. आरोपी और मृतक एक ही समुदाय से हैं.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
वायरल वीडियो के स्क्रीनग्रैब्स को रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजने पर, हमें मई 21, 2024 को प्रकाशित न्यूज़18 हिंदी की एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट मौजूद हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के बलौदा गांव में शराब माफ़ियाओं ने उनकी दुकान से महंगी शराब नहीं ख़रीदने और दूसरी दुकान से सस्ती शराब ख़रीदने पर गांव के ही एक दलित युवक रामेश्वर का अपहरण कर उसे बेरहमी से पीटा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि युवक के बेहोश होने के बाद आरोपी उसे हरियाणा के महेंद्रगढ़ स्थित एक अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए हिस्ट्रीशीटर दीपेंद्र उर्फ़ चिंटू राजपूत, प्रवीण उर्फ़ पीके मेघवाल, प्रवीण उर्फ़ बाबा मेघवाल, सुभाष उर्फ़ चिंटू मेघवाल और सतीश उर्फ़ सुखा मेघवाल को गिरफ़्तार किया है.
हमारी जांच के दौरान हमें इस मामले में दर्ज एफआईआर मिली, जिसमें सूरजगढ़ थाने में चिंटू, प्रवीण कुमार, सुभाष बावरिया, सुखा, प्रवीण, दीपेंद्र और पांच अन्य के खिलाफ हत्या, अपहरण, साक्ष्य मिटाने, कैद करने जैसी धाराओं में मामला दर्ज है. एफ़आईआर में लिखा है कि घटना मई 14, 2024 की है.
इस घटना के बारे में हमें दैनिक भास्कर, जी राजस्थान, अमर उजाला और एनडीटीवी राजस्थान की रिपोर्ट भी मिलीं. इन सभी रिपोर्ट्स में आरोपियों के नाम ठीक वही हैं जो ऊपर न्यूज़18 हिंदी की रिपोर्ट में बताये गए हैं. आरोपियों के ठिकानों पर प्रशासन ने बुलडोज़र भी चलाया था. इनमें से किसी भी रिपोर्ट में घटना के सांप्रदायिक एंगल या मुस्लिम आरोपी का ज़िक्र नहीं है.
इसके बाद, हमने मृतक रामेश्वर के भाई कालूराम से संपर्क किया, जिन्होंने हमें घटना का विवरण और आरोपियों के नाम बताए, जिनका उल्लेख एफ़आईआर और मीडिया रिपोर्ट्स में किया गया है.
कालूराम ने बताया, "मेरे भाई को मारने वालों में 5-6 लोग थे; चिंटू मेघवाल, सुखा मेघवाल, प्रवीण मेघवाल, सुभास थे." वायरल पोस्ट में किये गए दावे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "इसमें कोई भी मुस्लिम नहीं था."
झुंझुनू पुलिस ने भी एक एक्स-पोस्ट (आर्काइव यहां) पर कमेंट कर घटना में शामिल आरोपियों के नाम बताए, जिसमें कोई भी मुस्लिम नहीं था और यूज़र्स को भ्रामक दावे न करने की सलाह दी.
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से साफ़ हो जाता है कि राजस्थान के झुंझनू ज़िले की इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. मृतक और आरोपी एक ही समुदाय से हैं.