लेखक: मोहम्मद सलमान
जनवरी 8 2024
इस वीडियो का छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य को लेकर चल रहे अडानी-विरोधी प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है. दरअसल, यह वीडियो कर्नाटक का है.
दावा क्या है?
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई बचाने के लिए जारी आदिवासी समुदाय लंबे समय से विरोध-प्रदर्शन कर रहा है. द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक़, स्थानीय संगठनों का आरोप कि राज्य में बीजेपी सरकार आने के बाद अडानी समूह द्वारा खनन की सुविधा के लिए हसदेव के अंदर एक कोयला ब्लॉक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की गई है. यह भी कहा जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकार अडानी ग्रुप को “फ़ायदा” पहुंचाने के उद्देश्य से काम कर रही हैं.
इस बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में जंगल में जमा भीड़ को पुलिसकर्मी पीछे धकेलने की कोशिश करते नज़र आ रहे हैं, जिसमें एक महिला ज़मीन पर गिर जाती है.
इस वीडियो को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगल की कटाई के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शन का है, और पुलिसकर्मी एक प्रदर्शनकारी महिला को पीट रहे हैं. ऐसे ही दावे से शेयर किए गए एक पोस्ट को अब तक ढाई लाख से ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें.
वायरल पोस्ट के स्क्रीनशॉट (सोर्स:एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, यह वीडियो छत्तीसगढ़ का नहीं, बल्कि कर्नाटक के हासन ज़िले के सक्लेश्पुर का है, जहां एक प्रसिद्ध हाथी की संदिग्ध मौत को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया था.
सच्चाई क्या है?
जब हमने वीडियो को ध्यान से देखा तो पाया कि वीडियो में लोग कन्नड़ भाषा में बात करते सुनाई दे रहे हैं और पुलिसकर्मियों के बाजू में जो पुलिस का 'लोगो' दिख रहा है वह कर्नाटक पुलिस का है. इससे पता चलता है कि वीडियो कर्नाटक की किसी घटना से जुड़ा है.
वायरल वीडियो में दिख रहे पुलिसकर्मी और कर्नाटक पुलिस के लोगो के बीच तुलना (सोर्स: एक्स, कर्नाटक पुलिस/स्क्रीनशॉट)
इससे हिंट लेकर, हमने संबंधित कीवर्ड्स की मदद से खोजबीन की तो हमारे सामने पब्लिक टीवी के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो मिला. 5 दिसंबर, 2023 को अपलोड किये गए वीडियो के दृश्य वायरल वीडियो से मिलते-जुलते हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि सक्लेश्पुर के यस्लूर में स्थानीय लोगों ने अर्जुना हाथी हाथी का अंतिम संस्कार सक्लेश्पुर में न करने के बजाय उसे मैसूर के बल्ले सखाने शिबिरा ले जाने की मांग की थी और कुछ संगठनों ने उचित स्थान पर पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने और स्मारक बनाने का अनुरोध किया था. हाथी की मौत को लेकर लोगों में गुस्सा था. तब लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया था.
इस वीडियो रिपोर्ट में वायरल वीडियो में दिख रही दोनों महिलाओं को देखा जा सकता है. इनमें से एक महिला वह है जो वायरल वीडियो में पुलिसकर्मी के धक्का देने के बाद ज़मीन पर गिरती हुई नज़र आई थी.
वायरल वीडियो और पब्लिक टीवी रिपोर्ट के दृश्यों की तुलना (सोर्स: एक्स, पब्लिक टीवी/स्क्रीनशॉट)
इस घटना को न्यूज़18 कन्नड़ ने भी रिपोर्ट किया था. उसमें भी वायरल वीडियो से मिलते-जुलते दृश्य देखे जा सकते हैं.
इस घटना से जुड़ी इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रसिद्ध दशहरा हाथी अर्जुना (64) की मौत से लोगों में नाराज़गी है. विशेषज्ञों ने ऑपरेशन के लिए अपनाई गई विधि पर सवाल उठाया है. अर्जुना के महावत ने वन अधिकारियों और पशु चिकित्सकों पर कथित तौर पर जंगली हाथी के बजाय अर्जुना को गोली मारने का भी आरोप लगाया है.
रिपोर्ट में अर्जुना के महावत वीनू के हवाले से कहा गया है कि कि अर्जुना की मृत्यु उसके दाहिने पैर में चोट लगने से हुई. अर्जुना को उस समय गोली मारी गई जब वह मूस (गर्मी) में जंगली हाथी के साथ संघर्ष कर रहा था.
स्थानीय लोगों और गुस्साए ग्रामीणों ने वन अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए घटनास्थल पर विरोध प्रदर्शन किया था. हालांकि, वन अधिकारियों ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया और उस क्षेत्र में अंतिम संस्कार कर दिया जहां अर्जुना हाथी की मौत हुई थी. उत्तेजित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.
वहीं, द हिन्दू की एक रिपोर्ट में पशुचिकित्सक एच. रमेश के हवाले से कहा गया है कि हाथी अर्जुना की मौत जंगली हाथी के साथ लड़ाई में लगी चोटों के कारण हुई थी. उन्होंने स्पष्ट किया कि जानवर को कोई गोली नहीं लगी थी. एच. रमेश जंगल के यसलूर रेंज में हाथी को पकड़ने के अभियान में शामिल थे.
निर्णय
हमारी जांच से स्पष्ट है कि कर्नाटक में एक प्रसिद्ध हाथी की मौत पर स्थानीय लोगों के विरोध का वीडियो छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए चल रहे प्रदर्शन से जोड़कर शेयर किया गया है. इसलिए हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं.