लेखक: मोहम्मद सलमान
सितम्बर 6 2023
यह वीडियो राजस्थान का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का है और इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल भी नहीं है.
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी और एक युवक के बीच बाइक पर धार्मिक स्टीकर लगाने को लेकर बहस हो रही है. वीडियो में पुलिसकर्मी को बाइक सवार का चालान काटते हुए दिखाया गया है. इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान का है. साथ ही सत्तारूढ़ दल कांग्रेस पर निशाना साधा जा रहा है.
उत्तर प्रदेश भरतीय जनता युवा मोर्चा की सोशल मीडिया हेड ऋचा राजपूत ने फ़ेसबुक पर वीडियो पोस्ट करते हुए कैप्शन दिया, “राजस्थान में हिंदू होना गाली है कांग्रेस के लिए खाटूश्याम का स्टीकर लगाने पर चालान कर रहे है. मुस्लिम तुष्टिकरण वाली पार्टीया तुम्हें सेकुलर बनाकर तुम्हारा सब कुछ छीन लेंगी 80 % बिखरे हुए हिंदुओं के वोट के लिए कोई पार्टी परेशान नहीं है 20 % एकजुट मुस्लिम वोट के लिए सारी पार्टियां किसी भी हद तक जाने को तैयार है.”
इस वीडियो को अब तक हजार से भी ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. ऋचा राजपूत ने इसी दावे के साथ वीडियो एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी शेयर किया था. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना पोस्ट डिलीट कर दिया. इसके अलावा, यही वीडियो अन्य फ़ेसबुक यूज़र्स द्वारा भी राजस्थान का बताकर शेयर किया जा रहा है.
वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट (Source: Facebook/Screenshot)
हालांकि, हमारी जांच में पता चला कि यह वीडियो राजस्थान का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का है और इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल भी नहीं है.
फ़ैक्ट चेक
वायरल वीडियो के साथ किए गए दावे की सच्चाई का पता लगाने के लिए, लॉजिकली फैक्ट्स ने सबसे पहले वीडियो से स्क्रीनग्रैब निकाला और उसे रिवर्स इमेज सर्च पर खोजा. इस दौरान हमें 26 अगस्त, 2023, के एक फेसबुक पोस्ट में वायरल वीडियो का लंबा वर्ज़न मिला. मयंक शकुन अवस्थी नाम के फ़ेसबुक यूज़र द्वारा पोस्ट किये गए इस वीडियो की क्वालिटी वायरल वीडियो से कहीं बेहतर है.
मयंक शकुन अवस्थी के पोस्ट में दी गयी जानकारी के मुताबिक़ यह वीडियो लखीमपुर का है. इस पोस्ट का कैप्शन है, “लखीमपुर में ये किस तरह का आदेश है की गाड़ी पर ओम, खाटू श्याम लिखा होने पर हम सबकी गाडी का चालान करेंगे, गाड़ी की फोटो ले ली पर मैंने फोटो नही हटाया..भगवान का स्टीकर मैने अपने हाथ से लगाया है और मैं अपने हाथ से नही हटा सकता..”
फ़ेसबुक यूज़र मयंक शकुन अवस्थी द्वारा पोस्ट किया गया वीडियो
हमने वीडियो में ट्रैफिक पुलिस की वर्दी पर नज़र आने वाले पुलिस लोगो की जांच की तो पाया कि ये उत्तर प्रदेश पुलिस का लोगो है, नाकि राजस्थान पुलिस का. वीडियो में ट्रैफिक पुलिसकर्मी का नाम - दिनेश सिंह भी देखा जा सकता है. नीचे हमने वीडियो में नज़र आने वाले पुलिस लोगो और उत्तर प्रदेश पुलिस लोगो के बीच तुलना की है. दोनों में समानता देखी जा सकती है.
वीडियो में नज़र आने वाले पुलिस लोगो और उत्तर प्रदेश पुलिस लोगो के बीच तुलना (Source: Video, UP Police)
इसके बाद, हमने वीडियो के बैकग्राउंड में नज़र आने वाली दुकानों - चौधरी मशीनरी स्टोर, डायमंड मिल स्टोर्स, सिंह गेस्ट हाउस को गूगल मैप्स पर खोजा तो हम इन दुकानों के साथ-साथ बैकग्राउंड में दिखने वाले पीले रंग को भी लोकेट करने में कामयाब रहे. हमने पाया कि यह दुकानें लखीमपुर खीरी में पलिया रोड पर मौजूद हैं. इससे स्पष्ट होता है कि वीडियो राजस्थान का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का है.
वीडियो और गूगल मैप्स के दृश्यों की तुलना (Source: Video, Google Maps)
हमने अपनी जांच के दौरान मयंक शकुन अवस्थी के फ़ेसबुक अकाउंट को खंगाला तो 3 सितंबर, 2023 का एक पोस्ट मिला. इस पोस्ट में मयंक ने उसी पुलिसकर्मी के साथ अपनी तस्वीर शेयर की थी जिनसे उन्होंने धार्मिक स्टीकर लगाने पर चालान को लेकर बहस की थी.
मयंक ने पोस्ट में जानकारी देते हुए कैप्शन दिया, “आज निवास पर ट्रैफिक पुलिस के दिनेश सिंह जी मिलने आए. अच्छे व्यक्ति है शासन के आदेश को समझने में शायद गलती हुई और मेरा मानना है की गलतियां हमेशा व्यक्तियों से ही होती है.”
वायरल वीडियो और फ़ेसबुक पोस्ट में पुलिसकर्मी दिनेश कुमार को देख सकते हैं (Source: Video, Facebook/mayank.awasthi.338)
हमें राजस्थान पुलिस का एक पोस्ट भी मिला जिसमें वायरल वीडियो के साथ किये गए दावे को ख़ारिज करते हुए बताया गया है कि वीडियो राजस्थान का नहीं है.
राजस्थान पुलिस के पोस्ट का स्क्रीनशॉट (Source: X/Screenshot)
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से स्पष्ट हो जाता है कि बाइक पर धार्मिक स्टीकर लगाने पर चालान काटने को लेकर ट्रैफिक पुलिस और बाइक सवार युवक के बीच बहस का वीडियो उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का है, नाकि राजस्थान का. इसलिए, हम दावे को ग़लत मानते हैं.