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यूपी के बरेली में शिक्षिका द्वारा छात्र की पिटाई की घटना को ग़लत सांप्रदायिक रंग दिया गया

लेखक: मोहम्मद सलमान

जुलाई 25 2024

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यूपी के बरेली में शिक्षिका द्वारा छात्र की पिटाई की घटना को ग़लत सांप्रदायिक रंग दिया गया दावा है कि बरेली में शिक्षिका ने एक मुस्लिम छात्र की इसलिए बेरहमी से पिटाई कर दी क्योंकि उसने जामुन और नींबू तोड़कर लाने से इनकार कर दिया था. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय भ्रामक

बरेली के नवाबगंज सर्किल ऑफिसर (सीओ) हर्ष मोदी ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स से पुष्टि की कि पीड़ित छात्र मुस्लिम नहीं बल्कि दलित समुदाय से है.

(ट्रिगर वार्निंग: इस रिपोर्ट में बाल प्रताड़ना का वर्णन किया गया है. पाठकों को विवेक के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है.)

 

दावा क्या है? 

उत्तर प्रदेश के बरेली में एक शिक्षिका द्वारा छात्र की पिटाई से जुड़ी दो तस्वीरें सांप्रदायिक रंग देकर वायरल हो रही हैं. सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा है कि बरेली के क्योलड़िया में एक शिक्षिका ने एक मुस्लिम छात्र की इसलिए बेरहमी से पिटाई कर दी क्योंकि उसने जामुन और नींबू तोड़कर लाने से इनकार कर दिया था. 

वायरल पोस्ट में एक तस्वीर बच्चे की पीठ की है जिसमें पिटाई के ज़ख्म के निशान दिख रहे हैं, जबकि दूसरी तस्वीर महिला टीचर की बताई जा रही है. पोस्ट में पीड़ित छात्र का नाम अब्दुल रहमान बताया जा रहा है. 

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने तस्वीर के साथ कैप्शन दिया, "UP: बरेली में शिक्षिका ने कमरे में बंदकर मुस्लिम छात्र को जमकर पीटा. क्योलड़िया के बिहारीपुर में छात्र अब्दुल रहमान को जामुन, नींबू तोड़ने से मना करने पर बेरहमी से पीटा गया। शिक्षिका ने मार-मारकर पीठ की खाल उधेड़ दी। पीड़ित छात्र के परिजनों ने मुकदमा दर्ज कराया." पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों वाले अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.

वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, वायरल दावा भ्रामक है. यह घटना बरेली के बिहारीपुर अब्दुल रहमान नाम के गांव की है, लेकिन पीड़ित छात्र मुस्लिम नहीं बल्कि दलित समुदाय से है.

हमने सच का पता कैसे लगाया?

हमने संबंधित कीवर्ड्स के ज़रिये खोजबीन की, तो हमें इस घटना से जुड़ी कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह घटना बरेली के भदपुरा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बिहारीपुर अब्दुल रहमान की है. शिक्षिका रचनी गंगवार ने कक्षा चार के एक छात्र को जामुन तोड़ने के लिए कहा था लेकिन उसने मना कर दिया. गांव वालों के पूछने पर उसने शिक्षिका का नाम ले लिया. इससे नाराज़ शिक्षिका ने छात्र को स्कूल के कमरे में बंद कर दिया और डंडे से उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी. रिपोर्ट में लिखा है कि पीड़ित छात्र दलित समुदाय से है.

जुलाई 23, 2024 को प्रकाशित अमर उजाला की रिपोर्ट में बताया गया है कि दलित छात्र की बेरहमी से पिटाई के मामले में शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया है. यह घटना जुलाई 20 की है. रिपोर्ट में शिक्षिका रचनी गंगवार के हवाले से कहा गया कि उन्होंने छात्र को नींबू या जामुन तुड़वाने के लिए नहीं भेजा था. ग्रामीणों के पूछने पर छात्र ने उनका नाम ले लिया. बाद में स्कूल प्रिंसिपल के सामने बच्चे ने स्वीकार किया कि उन्होंने उसे नहीं भेजा था. 

टाइम्स ऑफ इंडिया और जागरण सहित कई मीडिया आउटलेट्स ने इस घटना को कवर किया और पीड़ित की पहचान दलित छात्र के रूप में की.

लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने बरेली के नवाबगंज सर्किल ऑफिसर (सीओ) हर्ष मोदी से बात की, जिसमें उन्होंने पुष्टि की कि पीड़ित बच्चा मुस्लिम नहीं है. वह दलित समुदाय से है. एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.

हमें बरेली पुलिस के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक पोस्ट पर एक कमेंट (आर्काइव यहां) मिला, जिसमें पुलिस ने स्पष्ट किया था कि पीड़ित छात्र मुस्लिम समुदाय से नहीं है.

एक्स पोस्ट पर बरेली पुलिस के कमेंट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हमारी जांच में यह भी पता चला कि पीड़ित छात्र का नाम अब्दुल रहमान नहीं है बल्कि जिस गांव में दलित छात्र की पिटाई का मामला सामने आया है उसका नाम "बिहारीपुर अब्दुल रहमान" है. (नोट: चूंकि पीड़ित दलित छात्र नाबालिग है, इसलिए लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने रिपोर्ट में उसका नाम नहीं बताया है.)

निर्णय 

हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि बरेली में जिस छात्र को कथित तौर पर नींबू और जामुन तोड़ने से मना करने पर शिक्षक ने पीटा था, वह मुस्लिम नहीं है.

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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