होम हिंदुत्व को 'चुनावी खेल खेलने के लिए ताश का पत्ता' बताने वाला पीएम मोदी का ये वीडियो एडिटेड है

हिंदुत्व को 'चुनावी खेल खेलने के लिए ताश का पत्ता' बताने वाला पीएम मोदी का ये वीडियो एडिटेड है

लेखक: राहुल अधिकारी

अक्टूबर 31 2023

शेयर आर्टिकल: facebook logo twitter logo linkedin logo
हिंदुत्व को 'चुनावी खेल खेलने के लिए ताश का पत्ता' बताने वाला पीएम मोदी का ये वीडियो एडिटेड है वीडियो के साथ दावा किया गया है कि पीएम मोदी ने यह कहा कि हिंदुत्व चुनावी खेल खेलने के लिए एक ताश का पत्ता है. (सोर्स: एक्स, फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय फ़ेक

वायरल वीडियो एक पुराने इंटरव्यू का एडिटेड वर्ज़न है. असल वीडियो में मोदी ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की थी.

दावा क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया जा रहा है. इस वीडियो के साथ कहा जा रहा है कि हिन्दू धर्म पीएम मोदी के लिए चुनावी खेल खेलने के लिए एक "ताश का पत्ता" है. वायरल वीडियो में, मोदी एक इंटरव्यू में बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं, “भारतीय जनता पार्टी के लिए हिंदुत्व कभी भी चुनावी नारा नहीं रहा है. हिंदुत्व हमारे लिए आर्टिकल ऑफ़ फ़ेथ है. ये चुनावी खेल खेलने के लिए एक ताश का पत्ता है.”

सोशल मीडिया पर हिमाचल यूथ कांग्रेस समेत कई यूज़र्स ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “सत्ता को पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने हिंदू धर्म का जितना दोहन किया है उतना दोहन दुनिया की किसी भी राजनैतिक पार्टी ने सत्ता पाने के लिए अपने धर्म का नहीं किया होगा.'' वायरल वीडियो के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

वायरल पोस्ट के स्क्रीनशॉट (सोर्स: फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, वायरल वीडियो को एडिटेड किया गया है. यह वीडियो ज़ी न्यूज़ के साथ मोदी के 24 साल पुराने एक इंटरव्यू का है. मूल वीडियो में पीएम मोदी ने कहा था, ''हिंदुत्व हमारे लिए चुनावी खेल खेलने का कार्ड नहीं है.''

सच्चाई क्या है?

वायरल वीडियो के कीफ़्रेम्स पर रिवर्स इमेज सर्च करने के ज़रिये हमने मूल वीडियो को खोजा तो हमें यह 17 सितंबर, 2020 को ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रकाशित नरेंद्र मोदी का एक पुराना इंटरव्यू मिला. वीडियो के शीर्षक में लिखा था - पीएम मोदी का 24 साल पुराना इंटरव्यू. 14:24 मिनट लंबे इस वीडियो में नरेंद्र मोदी के दो इंटरव्यू शामिल हैं- एक रिकॉर्डर 22 मार्च 1998 को और दूसरा रिकॉर्डर 6 दिसंबर 1998 को.

हमने पाया कि वायरल वीडियो वाला हिस्सा 6 दिसंबर 1998 को रिकॉर्ड किया गया था. ज़ी न्यूज़ के वीडियो में 10:30 मिनट से 10:40 मिनट की समयावधि पर उसी हिस्से को देखा जा सकता है.

10:05 मिनट पर इंटरव्यू करने वाले ज़ी पत्रकार ने मोदी से पूछा, "नरेंद्र मोदी जी, आपका हिंदुत्व का नारा ही था जिसके कारण आपको 1984 में दो सीटें मिलीं. उसके बाद, आप धीरे-धीरे 1998 में सरकार बनाने के चरण में पहुंच गए. अब आपका हिंदुत्व का नारा भी फेल हो गया है. इस चुनाव में आपने फिर से चुनावी हथकंडे के नाम पर वंदे मातरम और सरस्वती वंदना की बात की, लेकिन लोग समझ गए कि आप वोट पाने के लिए चुनाव के दौरान एक भावनात्मक मुद्दा उठा रहे हैं. इस पर मोदी ने कहा, ''हिंदुत्व कभी भी भारतीय जनता पार्टी का कभी चुनावी नारा नहीं रहा है. हिंदुत्व हमारे लिए आस्था आर्टिकल ऑफ़ फ़ेथ है. यह चुनावी खेल खेलने के लिए एक ताश का पत्ता नहीं है. यह मुद्दा कभी अस्तित्व में था ही नहीं...”

हमारी अब तक की जांच से स्पष्ट हो जाता है कि “नहीं’ शब्द को वायरल वीडियो में हटा दिया गया ताकि यह दिखाया जा सके कि मोदी ने कहा, "हिंदुत्व चुनावी खेल खेलने के लिए एक ताश का पत्ता है." फ़र्ज़ी दावा करने के लिए इस इंटरव्यू का बदला हुआ वर्ज़न सोशल मीडिया पर शेयर किया गया. मूल वीडियो में प्रधानमंत्री ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की.

1998 का लोकसभा चुनाव

भारतीय जनता पार्टी ने 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेतृत्व वाले अन्य दलों के साथ गठबंधन में केंद्र सरकार बनाई थी. अटल बिहारी वाजपेयी 19 मार्च को देश के प्रधान मंत्री बने. 22 मार्च 1998 के मूल इंटरव्यू में, मोदी से चुनाव में जीत, भाजपा के घोषणापत्र और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बारे में सवाल पूछे गए थे. उस समय मोदी बीजेपी के महासचिव थे. 

निर्णय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 1998 के इंटरव्यू के छेड़छाड़ किए गए वीडियो में फ़र्ज़ी दावा किया गया कि उन्होंने कहा था, "चुनावी खेल खेलने के लिए हिंदुत्व एक ताश का पत्ता है." असल में, मोदी ने कहा था कि हिंदुत्व चुनावी खेल में खेलने के लिए एक ताश का पत्ता "नहीं" है. इसलिए, हम इस दावे को ग़लत मानते हैं. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

0 ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.