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नहीं, पाकिस्तान भारतीय मुस्लिमों के लिए सीएए लागू नहीं कर रहा

लेखक: मोहम्मद सलमान

मार्च 13 2024

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नहीं, पाकिस्तान भारतीय मुस्लिमों के लिए सीएए लागू नहीं कर रहा वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ का भारतीय मुसलमानों के लिए सीएए की घोषणा करने वाला एक्स पोस्ट दिखाया गया है. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

पाकिस्तान द्वारा भारतीय मुसलमानों के लिए नागरिकता संशोधन कानून लागू करने की घोषणा के संबंध में कोई आधिकारिक या विश्वसनीय ख़बर नहीं है.

संदर्भ

11 दिसंबर, 2019 को संसद में पारित होने के चार साल बाद, 11 मार्च, 2024 को भारत सरकार ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने की घोषणा कर दी. यह क़ानून पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करता है - जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे.

हालांकि, सीएए ने भारत में विवाद खड़ा कर दिया और "मुस्लिम विरोधी" होने के कारण इसकी आलोचना की गई है. कानून के आलोचकों का दावा है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जो भारतीय नागरिकों की प्रस्तावित आधिकारिक सूची को संदर्भित करता है, के साथ मिलकर नया कानून भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण होगा. इस क़ानून के ख़िलाफ़ 2019 और 2020 की शुरुआत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.

दावा क्या है?

इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ का एक कथित एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें लिखा है: "भारत सरकार के अलोकतांत्रिक और सांप्रदायिक सीएए का मुक़ाबला करने के लिए, पाकिस्तान सरकार ने पाकिस्तान के अपने सीएए को अधिसूचित करने का फैसला किया है, जिसमें भारत में प्रताड़ित महसूस करने वाले भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान की नागरिकता दी जाएगी." इस स्क्रीनशॉट को शेयर करने वाले एक पोस्ट को अब तक 3,60,000 बार से ज़्यादा देखा गया और 4,000 बार रीपोस्ट किया गया था. ऐसी पोस्टों के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

इस दावे को ब्रेकिंग न्यूज़ प्रसारण के रूप में भी शेयर किया गया है. एक एक्स यूज़र ने लिखा, “पाकिस्तानी सरकार 1947 के विभाजन के दौरान भारत में रह गए भारतीय मुसलमानों के लिए सीएए के पाकिस्तान संस्करण को लागू करने की संभावना है. पाकिस्तानी सीएए ने उन भारतीय मुसलमानों के लिए पाकिस्तान की नागरिकता प्रदान करने का भी निर्णय लिया है जो भारत में उत्पीड़न महसूस करते हैं.~ समाचार पाकिस्तान से अज्ञात स्रोत." ऐसी पोस्टों के आर्काइव वर्ज़न यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि वायरल दावे में कोई सच्चाई नहीं है. पाकिस्तान द्वारा भारतीय मुसलमानों के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसा क़ानून घोषित करने की कोई ख़बर नहीं है.

हमने सच का पता कैसे लगाया?

लॉजिकली फ़ैक्ट्स की जांच में सामने आया कि कथित एक्स पोस्ट 11 मार्च, 2024 को रात 8:00 बजे के आसपास "BHKslams" नाम के अकाउंट से पोस्ट किया गया था, जो ख़ुद को मीम्स और व्यंग्य पर केंद्रित पेज के रूप में पहचान रखता है. ऐसा लगता है कि शुरू में ओरिजिनल पोस्ट को जोक के तौर पर शेयर किया गया, लेकिन कई लोगों ने इसे सच मानकर शेयर करना शुरू कर दिया.

शहबाज़ शरीफ़ के आधिकारिक एक्स अकाउंट की जांच करने पर हमें 11 मार्च को उनकी ओर से कोई ऐसी पोस्ट नहीं मिला जैसा कि वायरल पोस्ट में दिख रहा है. एक्स पर उनकी सबसे हालिया पोस्ट 10 मार्च, 2024 की है, जहां उन्होंने पाकिस्तान के नए प्रधान मंत्री के रूप में चुने जाने पर बधाई संदेश भेजने के लिए मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू का आभार व्यक्त किया.

वेबैक मशीन पर शहबाज़ शरीफ़ के एक्स अकाउंट के आर्काइव्ज़ की जांच करने के बाद, हमें केवल 8 मार्च, 2024 तक के रिकॉर्ड मिले. इसके अलावा, सोशल मीडिया एनालिटिक्स वेबसाइट सोशल ब्लेड पर उनके अकाउंट का विश्लेषण करते समय, हमने देखा कि उन्होंने  11 मार्च (टाइम ज़ोन में अंतर के कारण 10 मार्च को समायोजित) को केवल चार बार पोस्ट किया था. वेबसाइट में यह भी देखा जा सकता है कि उन्होंने 10 या 11 मार्च को कोई पोस्ट डिलीट नहीं किया.

सोशल ब्लेड के विश्लेषण का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: सोशल ब्लेड/स्क्रीनशॉट)

हमें सीएए जैसा कानून लागू करने की पाकिस्तान की कथित योजना पर कोई विश्वसनीय सोर्स नहीं मिला. आमतौर पर ऐसी घोषणाएं देश-विदेश में खूब ध्यान खींचती हैं.

लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने दो पाकिस्तानी पत्रकारों से संपर्क किया जिन्होंने पुष्टि की कि वायरल दावा "निराधार" और "पूरी तरह से ग़लत" है. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद स्थित पत्रकार नवीद अकबर ने कहा कि पाकिस्तान में ऐसे किसी क़ानून पर विचार नहीं किया जा रहा है, "निचले स्तर पर भी नहीं."

निर्णय

पाकिस्तानी सरकार ने यह घोषणा नहीं की है कि वह भारतीय मुसलमानों के लिए नागरिकता संशोधन क़ानून का पाकिस्तानी वर्ज़न लागू करने जा रही है. इसलिए, हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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