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सिद्धू मूसेवाला की 'अंतिम अरदास' में पगड़ी बंधवाते मुस्लिम शख़्स का वीडियो किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल

लेखक: मोहम्मद सलमान

फ़रवरी 20 2024

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सिद्धू मूसेवाला की 'अंतिम अरदास' में पगड़ी बंधवाते मुस्लिम शख़्स का वीडियो किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल सोशल मीडिया यूज़र्स इस वीडियो के ज़रिये दावा कर रहे हैं कि मुस्लिम अपना भेष बदलकर किसानों के प्रदर्शन में घुस रहे हैं. (सोर्स:एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

यह वीडियो जून 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की 'अंतिम अरदास' का है, जब सभी मज़हब के उपस्थित लोगों के सिर पर पगड़ी (दस्तार) बांधी गई थी.

दावा क्या है?

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक मुस्लिम शख़्स टोपी उतारकर पगड़ी बंधवाते हुए नज़र आ रहा है. इस वीडियो को मौजूदा किसान आंदोलन से शेयर किया जा रहा है. सोशल मीडिया यूज़र्स इस वीडियो के ज़रिये दावा कर रहे हैं कि मुस्लिम अपना भेष बदलकर किसानों के प्रदर्शन में घुस रहे हैं. 

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन दिया, "शूटिंग के दौरान सेट पे जाने से पहले सब कलाकार तैयार हो रहे हैं!! पर इनको कोई हिंदू कलाकार नहीं मिल रहा क्या जो इन रोहिंग्या कलाकारों को पग पहनानी पड़ रही है ?? सब के सब एंटीनेशनल भरे पेड़ हैं इस फर्जी किसान आंदोलन में." इस पोस्ट को अब तक 338,000 से ज़्यादा व्यूज़ और 7500 से ज़्यादा रीपोस्ट मिल चुके हैं. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखे. ऐसे ही दावे वाले अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

वायरल पोस्ट के स्क्रीनशॉट (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, इस वीडियो का मौजूदा किसान विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है. यह वीडियो जून 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की "अंतिम अरदास" का है, जब सभी अलग-अलग धर्मों के उपस्थित लोगों के सिर पर पगड़ी (दस्तार) बांधी गई थी.

हमने सच्चाई का पता कैसे लगाया?

हमने वायरल वीडियो के कीफ़्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजा, तो 'सरदारियां ट्रस्ट पंजाब' नाम के फ़ेसबुक पेज पर 10 जून, 2022, की पोस्ट में हूबहू दृश्य को दिखाने वाला वीडियो मिला. इसमें उसी शख़्स को अपनी सफ़ेद टोपी उतारकर नीली पगड़ी बंधवाते हुए दिखाया गया है. बैकग्राउंड में बिल्कुल वही पोस्टर नज़र आ रहे हैं, जो वायरल वीडियो में दिखते हैं.

इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, "मूसेवाला की अंतिम प्रार्थना 'सरदारियां ट्रस्ट' ने पगड़ी का लंगर लगाया , मुस्लिम और हिंदू भाइयों ने भी पगड़ी सजायी."

इसके अलावा इसी पेज पर 12 जून, 2022, को भी इसी मौके की तस्वीरें शेयर की गईं, जिनमें वही मुस्लिम शख़्स नजर आ रहा है.

दरअसल 29 मई 2022 को पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या कर दी गई थी. 8 जून को पंजाब के मानसा ज़िले की अनाज मंडी में उनकी 'अंतिम अरदास' की गई थी. (अंतिम अरदास, एक तरह की अंतिम प्रार्थना है, जिसमें घर पर या गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पूरा पाठ शामिल होता है.) इस मौक़े पर हजारों की तादाद में उनके चाहने वाले शरीक हुए थे.

इसी वीडियो को 'सरदारियां ट्रस्ट पंजाब' ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी शेयर किया था.

सरदारियां ट्रस्ट पंजाब के इंस्टाग्राम पर मौजूद वीडियो का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: इंस्टाग्राम/स्क्रीनशॉट)

6 जून, 2022, के एक अन्य पोस्ट में सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह का एक वीडियो मौजूद है, जिसमें सिद्धू मूसेवाला से प्रेम करने वाले सभी युवाओं से 'अंतिम अरदास' में पगड़ी पहनकर शमिल होने की अपील की गई थी. पोस्ट में बताया गया है कि इस मौक़े पर 'सरदारियां ट्रस्ट' पगड़ी लंगर लगाएगा.

सरदारियां ट्रस्ट पंजाब के इंस्टाग्राम पर मौजूद वीडियो का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: इंस्टाग्राम/स्क्रीनशॉट)

हमने वायरल वीडियो के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए 'सरदारियां ट्रस्ट पंजाब' संगठन के हरप्रीत सिंह से संपर्क किया, जिन्होंने पुष्टि की कि वीडियो सिद्धू मूसेवाला की अंतिम अरदास का है. 

"हमने सिद्धू मूसेवाला की अंतिम अरदास में दस्तार लंगर लगाया था. उनके पिताजी ने हमें बुलाया था और वो चाहते थे कि जो लोग अरदास में आयें, वो दस्तार पहनकर आयें. हमने वहां कैंप लगाया था. क़रीब 500-700 दस्तार हमने तैयार की थी. इसमें हिन्दू थे, मुस्लिम थे, और सिख. हमने सभी के सिर पर दस्तार सजायी थी", हरप्रीत सिंह ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स को बताया. 

दरअसल, 'सरदारियां ट्रस्ट पंजाब' पंजाब के गांवों और शहरों में दस्तार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करता है, जहां लोगों को पगड़ी बांधने का तरीक़ा सिखाया जाता है. 

निर्णय 

हमारी अब तक की जांच से साफ़ हो जाता है कि वीडियो के साथ किया गया पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. इसका किसानों के विरोध-प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है. असल में, यह जून 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की 'अंतिम अरदास' का वीडियो है, जिसमें सभी मज़हब के उपस्थित लोगों के सिर पर पगड़ी (दस्तार) बांधते हुए दिखाया गया है. इसलिए, हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.