लेखक: मोहम्मद सलमान
फ़रवरी 21 2024
यह वीडियो 6-7 फ़रवरी 2024 को मुंबई के गोवंडी में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा तोड़ी गई झुग्गियों का है. इसका हल्द्वानी से कोई संबंध नहीं है.
दावा क्या है?
उत्तराखंड के हल्द्वानी में सरकारी ज़मीन पर बनी एक अवैध मस्जिद और मदरसे को गिराए जाने के बाद इलाके में हिंसा भड़क गई थी. इस बीच, सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है, जिसमें बुलडोजर की मदद से तोड़े गए मकानों का मलबा नज़र आ रहा है. इस वीडियो को उत्तराखंड के हल्द्वानी का बताकर शेयर किया जा रहा है. सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में पत्थरबाजों के घरों पर बुलडोजर चलवा दिया है.
यह वीडियो एक्स (पूर्व में ट्विटर) और फ़ेसबुक पर बड़ी संख्या में शेयर किया जा रहा है. ऐसे ही दावे वाले पोस्ट यहां, यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
वायरल पोस्ट के स्क्रीनशॉट (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, यह वीडियो मुंबई के गोवंडी में तोड़ी गई झुग्गी बस्तियों का है, जहां बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने 6-7 फ़रवरी को सैकड़ों झुग्गियों को तोड़ दिया था. इसका उत्तराखंड के हलद्वानी से कोई लेना-देना नहीं है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने वायरल वीडियो के अलग-अलग कीफ़्रेम निकाले और उन्हें रिवर्स इमेज सर्च पर चलाया. इस दौरान हमें कई यूट्यूब वीडियो मिले जिनमें वायरल वीडियो से मिलते-जुलते दृश्य मौजूद थे. मेट्रो मुंबई, एसपीयू अपडेट और हिन्दुस्तानी रिपोर्टर नाम के वेरीफ़ाइड यूट्यूब चैनलों पर दी गई जानकारी के मुताबिक़, यह वीडियो मुंबई के गोवंडी इलाक़े की टाटानगर झुग्गी बस्ती का है, जहां 6-7 फ़रवरी, 2024 को बीएमसी द्वारा अतिक्रमण के रूप में चिन्हित झुग्गी बस्ती तोड़ी गई थी.
वायरल वीडियो और यूट्यूब चैनल्स के दृश्यों के बीच तुलना का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स,यूट्यूब/स्क्रीनशॉट)
नीचे यहां तोड़ी गई झुग्गियों के पीछे एक इमारत को वायरल वीडियो और यूट्यूब चैनलों के वीडियो में देखा जा सकता है.
वायरल वीडियो और यूट्यूब चैनल्स के दृश्यों के बीच तुलना का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स,यूट्यूब/स्क्रीनशॉट )
इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस घटना पर रिपोर्ट की और तोड़ी गई झुग्गी बस्ती की तस्वीरें शेयर कीं, जहां हम बैकग्राउंड में उसी इमारत को भी देख सकते हैं.
इसके अलावा, गोवंडी में झुग्गी बस्ती तोड़े जाने की ग्राउंड रिपोर्ट 'टुडे इंडिया न्यूज' नाम के यूट्यूब चैनल पर मौजूद है. इसमें बस्ती के आसपास मौजूद बिल्डिंग के क़रीबी दृश्य मौजूद हैं, जो न सिर्फ़ वायरल वीडियो से बल्कि मुंबई के दूसरे यूट्यूब चैनल से भी मेल खाते हैं.
इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, हमने यूट्यूब चैनल 'टुडे इंडिया न्यूज' के रिपोर्टर फ़ैसल से संपर्क किया, जिसमें उन्होंने बताया कि गोवंडी के टाटानगर में 6-7 फ़रवरी को बीएमसी ने झुग्गी तोड़ी थी. पंचशील नगर टाटानगर में ही आता है. यहां सैकड़ों की तादाद में झुग्गियां तोड़ी गई थीं.
फ़ैसल ने हमें यह भी बताया कि ये झुग्गी बस्ती मुंबई के गोवंडी रेलवे स्टेशन के क़रीब देवनार रोड पर है. इस जानकारी के आधार पर हमने उस जगह को गूगल मैप्स पर खोजा और पाया कि टाटानगर झुग्गी बस्ती देवनार रोड, म्युनिसिपल रोड और एस.जी. पाटिल रोड के बीच एम. पॉवर टिस लाइब्रेरी के पीछे मौजूद है. हमने पाया कि ऊपर आयताकार निशान द्वारा दिखाई गई इमारत एम. पावर टाइस लाइब्रेरी है.
यहां यूट्यूब वीडियो पर नज़र आने वाली उसी लाइब्रेरी की इमारत को गूगल मैप्स पर देखा जा सकता है. यह लाइब्रेरी पाटिलवाड़ी, गोवंडी ईस्ट में मौजूद है.
'टुडे इंडिया न्यूज’ और गूगल मैप्स के दृश्यों का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: यूट्यूब, गूगल मैप्स, /स्क्रीनशॉट)
इसके अलावा, हमने 'टुडे इंडिया न्यूज’ की रिपोर्ट के अन्य दृश्यों को भी गूगल मैप्स पर खोजा. हम गूगल मैप्स और स्ट्रीट व्यू के ज़रिये वीडियो में दिख रहे नाले पर बने पुल और दूर दिखाई दे रही गगनचुंबी इमारतों को ढूंढने में कामयाब रहे.
'टुडे इंडिया न्यूज’ और गूगल मैप्स के दृश्यों का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: यूट्यूब, गूगल मैप्स/स्क्रीनशॉट)
9 फ़रवरी, 2024 को प्रकाशित हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि झुग्गी निवासियों के विरोध के बाद अतिक्रमण अभियान को रोक दिया गया था. कई स्वयंसेवी संगठनों ने बीएमसी की कार्यवाई पर सवाल उठाया था. बीएमसी ने लोगों को किसी तरह का नोटिस नहीं दिया था. 2 फ़रवरी को, बीएमसी अधिकारियों द्वारा झुग्गी तोड़े जाने के बारे में मौखिक घोषणा की गई थी. हालांकि, उन्होंने इन लोगों के पुनर्वास का दिया था. एम ईस्ट वार्ड के एक बीएमसी अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि कोई नोटिस नहीं दिया गया था.
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह साफ़ हो गया है कि मुंबई के गोवंडी इलाके में झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ने का वीडियो हलद्वानी का बताकर शेयर किया गया है. इसलिए हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं.